फिर से पटरी पर लौटी महाविकास अघाड़ी की गाड़ी? सीट शेयरिंग पर संजय राउत ने दिया बड़ा संकेत
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले महाविकास अघाड़ी में दरार कुछ कम होती दिखाई दे रही है। शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच चल रही तकरार के बीच दोनों पार्टी के नेताओं ने ताजा बयान जारी किया है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले महाविकास अघाड़ी में दरार कुछ कम होती दिखाई दे रही है। शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच चल रही तकरार के बीच दोनों पार्टी के नेताओं ने ताजा बयान जारी किया है। संजय राउत ने कहा है कि दो दिनों तक थमी हमारी बातचीत आज फिर शुरू होगी। इस बात को संकेत माना जा रहा है कि महाविकास अघाड़ी के बीच सीट शेयरिंग पर बात बन सकती है। बता दें कि इससे पहले उद्धव ठाकरे और संजय राउत ने बयान दिया था, जिससे लग रहा था कि सीट शेयरिंग पर पेच फंस रहा है। यहां तक कि गठबंधन टूटने की आशंका भी जताई जाने लगी थी। संजय राउत ने तो कह दिया था कि कांग्रेस के नेताओं में फैसला लेने का दम नहीं है।
इस बीच संजय राउत का नया बयान भी सामने आया है। इसमें संजय राउत ने कहा है कि रमेश चेन्निथाला मातोश्री आए थे। हमने उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में चर्चा की है। उन्होंने कहाकि पिछले दो दिन से जो बातचीत रुकी हुई थी, आज शुरू जाएगी। संजय राउत ने आगे बताया कि हमने तय किया है कि आज देर रात तक सीटों का बंटवारा फाइनल हो जाएगा। उन्होंने कहाकि समाजवादी पार्टी भी हमारे साथ है। कल उद्धव ठाकरे और अखिलेश यादव के बीच बातचीत हो चुकी है।
इस बीच महाराष्ट्र कांग्रेस के मुखिया नाना पटोले का भी बयान आया है। उन्होंने कहाकि संजय राउत के नेता उद्धव ठाकरे हैं। हमारे नेता मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी हैं। एनसीपी (एससीपी) के नेता शरद पवार हैं। लेकिन सीट शेयरिंग कमेटी में इनमें से कोई नहीं है। हालांकि यह कमेटी इन्हीं नेताओं के आदेश पर बनी है। उन्होंने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने नेताओं को लगातार अपडेट करते रहें। नाना पटोले ने आगे कहाकि अगर संजय राउत उद्धव को कंट्रोल कर रहे हैं तो यह उनका मामला है। हमें अपने नेताओं को हकीकत बतानी है और हम यही करेंगे। उन्होंने कहाकि संजय राउत क्या करते हैं, हम इसमें नहीं पड़ने वाले।
गौरतलब है संजय राउत ने कहा था कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं में फैसले लेने का दम नहीं है। उन्होंने यहां तक कहा था कि कुछ भी होता है तो बात दिल्ली जाती है। इसके बाद वहां से फैसला होता है, फिर यहां पर उस पर अमल होता है। इस बात को लेकर आशंका जताई जा रही थी कि कहीं दोनों दलों में बात बिगड़ न जाए।