Madras High Court orders rupees 1 lakh compensation for woman who was denied maternity leave by Judicial Magistrate मातृत्व अवकाश क्यों नहीं दिया, अब भरो ₹100000 का हर्जाना; कामकाजी महिलाओं के काम की खबर, India Hindi News - Hindustan
Hindi Newsदेश न्यूज़Madras High Court orders rupees 1 lakh compensation for woman who was denied maternity leave by Judicial Magistrate

मातृत्व अवकाश क्यों नहीं दिया, अब भरो ₹100000 का हर्जाना; कामकाजी महिलाओं के काम की खबर

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा कि विद्वान जिला मुंसिफ सह न्यायिक मजिस्ट्रेट की कार्रवाई अमानवीय है। वैसे दिनों में जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिव इन रिलेशनशिप को भी मान्यता दी जी चुकी है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, चेन्नईThu, 27 March 2025 09:23 PM
share Share
Follow Us on
मातृत्व अवकाश क्यों नहीं दिया, अब भरो ₹100000 का हर्जाना; कामकाजी महिलाओं के काम की खबर

मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में कहा है कि कोई भी नियोक्ता किसी भी महिला को मातृत्व अवकाश देने से इनकार नहीं कर सकता और इस लाभ के लिए महिला कर्मचारी से तब तक विवाह से जुड़ा सबूत नहीं मांग सकता, तब तक कि उसका विवाह उचित संदेह के घेरे में न हो। हाई कोर्ट ने अपने अधीनस्थ एक निचली अदालत यानी जिला मुंसिफ सह जूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत की इस बात के लिए आलोचना की कि जूडिशियल मजिस्ट्रेट के कार्यालय की एक सहायक को विवाह के शक के आधार पर मातृत्व अवकाश देने से रोक दिया गया था।

जस्टिस आर सुब्रमण्यन और जस्टिस जी अरुल मुरुगन की पीठ ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि निचली अदालत के व्यवहार के कारण पीड़ित महिला कर्मचारी को मानसिक और अन्य परेशानी हुई है, इसलिए उसे 100000 रुपये बतौर हर्जाना का भुगतान किया जाए। हाई कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट की हरकत को पूरी तरह से अनुचित और अमानवीय करार दिया और कहा कि महिला का मातृ्त्व अवकाश आवेदन को खारिज करने के लिए जानबूझकर ऐसे कारण तलाशे गए।

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा, "विद्वान जिला मुंसिफ सह न्यायिक मजिस्ट्रेट की कार्रवाई अमानवीय है। वैसे दिनों में जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिव इन रिलेशनशिप को भी मान्यता दी जी चुकी है, तब विद्वान जिला मुंसिफ सह न्यायिक मजिस्ट्रेट, कोडावसल ने इस मामले में पुरातनपंथी दृष्टिकोण अपनाया और याचिकाकर्ता के मातृत्व अवकाश के आवेदन को जानबूझकर अस्वीकार करने के कारणों का पता लगाया। हमारी राय में यह पूरी तरह से अनुचित है।"

विवाह का सबूत नहीं मांग सकते नियोक्ता

हाई कोर्ट ने आगे कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि मातृत्व अवकाश विवाहित महिला को दिया जाता है लेकिन विवाह को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है। कोई भी नियोक्ता मातृत्व अवकाश देने के लिए विवाह के तथ्य के लिए संदेह से परे सबूत नहीं मांग सकता जब तक कि उनका विवाह विवादित न हो। हाई कोर्ट ने कहा कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

ये भी पढ़ें:यहां 4 घंटे से तमाशा चल रहा, MP HC के जजों पर ही भड़क पड़ा वकील और फिर…
ये भी पढ़ें:3 साल ARP रह चुके शिक्षकों को स्‍कूल भेजना गलत नहीं, HC का हस्‍तक्षेप से इनकार
ये भी पढ़ें:कॉलेजियम की सिफारिश होगी वापस? जस्टिस वर्मा के तबादले पर वकीलों से क्या बोले CJI
ये भी पढ़ें:जस्टिस यशवंत वर्मा का स्टोर रूम 12 दिन बाद पुलिस ने किया सील, फुटेज भी लेकर गई

दरअसल, कोडावसल के जिला मुंसिफ सह न्यायिक मजिस्ट्रेट के दफ्तर में बी कविता नाम की एक महिला बतौर सहायक नौकरी करती थी। 2020 में उसके पति का निधन हो गया। इसके बाद उसने अप्रैल 2024 में दूसरे मर्द भारती से शादी की। जब उन्होंने अक्टूबर 2024 में मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया, तो उनके अनुरोध को तीन आधारों पर खारिज कर दिया गया। पहला कि उनका विवाह पंजीकृत नहीं है। दूसरा, धोखाधड़ी के लिए भारती के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी विवाह को साबित नहीं कर सकी, और उनकी गर्भावस्था विवाह से पहले की है। इस आधार पर मजिस्ट्रेट ने तर्क दिया कि मातृत्व अवकाश केवल विवाहित महिला को दिया जाता है।

सबूत के बावजूद आवेदन खारिज

इस पर हाई कोर्ट ने असहमति जताते हुए कहा कि यह सच है कि विवाहित महिलाओं को मातृत्व अवकाश दिया जाता है लेकिन नियोक्ता महिला से विवाह का सबूत नहीं मांग सकता। मामले में कविता ने पहले भारती के खिलाफ झूठा विवाह का वादा करने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी लेकिन बाद में भारती ने कविता से शादी कर ली थी। इस शादी के सबूत भी कविता ने कोर्ट को दिए थे, बावजूद उसका आवेदन खारिज कर दिया गया था। इसके खिलाफ वह हाई कोर्ट पहुंची थीं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।