पुलिस ने खोदी 'गोपन स्वामी' की समाधि, बैठी हुई अवस्था में राख से ढका मिला शव
- बुधवार को, केरल हाईकोर्ट ने गोपन के परिवार द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें पुलिस द्वारा शव निकालने की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी।
तिरुवनंतपुरम के नेय्याट्टिनकारा के पास एक आत्मघोषित आध्यात्मिक गुरु गोपन स्वामी की मौत से जुड़े रहस्यों को सुलझाने के लिए गुरुवार सुबह केरल पुलिस ने उनके घर के परिसर में बनी कंक्रीट चेंबर से उनका शव निकाला।
नेय्याट्टिनकारा के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) एस. शाजी ने बताया कि चेंबर में शव बैठी हुई अवस्था में मिला और राख से ढका हुआ था। शव को राजस्व और पुलिस अधिकारियों तथा फोरेंसिक सर्जनों की मौजूदगी में निकाला गया। शव को इनक्वेस्ट के बाद पोस्टमार्टम के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया ताकि मौत के कारणों का पता लगाया जा सके।
परिवार ने समाधि का दावा किया, स्थानीय निवासियों ने उठाए सवाल
बुधवार को, केरल हाईकोर्ट ने गोपन के परिवार द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें पुलिस द्वारा शव निकालने की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी। स्थानीय निवासियों ने स्वामी की अचानक "समाधि" को लेकर संदेह जताया था।
परिवार 69 वर्षीय गोपन स्वामी को एक आध्यात्मिक गुरु मानता था। उसने दावा किया कि उन्होंने गुरुवार को समाधि ले ली थी। परिवार ने बताया कि स्वामी को उनके द्वारा बनाए गए 'समाधि पीठम' में उतारा गया, जिसे उन्होंने पांच साल पहले तैयार किया था। हालांकि, परिवार पुलिस और अदालत को यह समझाने में विफल रहा कि गोपन की मृत्यु कैसे हुई और उनके पास मृत्यु प्रमाणपत्र भी नहीं था।
तीन दिन पहले की थी समाधि की भविष्यवाणी: पुत्र का दावा
गोपन के बेटे सनंदन ने कहा, "पिता ने तीन दिन पहले अपनी समाधि की भविष्यवाणी की थी। गुरुवार सुबह, पारिवारिक मंदिर में दैनिक पूजा-अर्चना के बाद, वे समाधि में चले गए। हम दिनभर पूजा और अनुष्ठान करते रहे और शुक्रवार सुबह समाधि को कृष्ण शिला से ढक दिया गया।"
पुलिस जांच में अड़चन डालने का प्रयास
सोमवार को जब पुलिस ने जांच शुरू की और चेंबर से शव निकालने की बात कही, तो गोपन की पत्नी सुलोचना और बेटों ने इसका कड़ा विरोध किया। परिवार ने हिंदू नादर समुदाय से समर्थन मांगते हुए पुलिस पर हिंदू धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया। हालांकि, हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने कार्रवाई पूरी की।
स्थानीय निवासियों की सतर्कता से खुला मामला
गोपन स्वामी की मौत के बाद परिवार ने किसी को सूचना नहीं दी और शनिवार को क्षेत्र में बैनर लगाकर घोषणा की कि स्वामी ने समाधि प्राप्त की है। स्थानीय निवासियों को इस पर संदेह हुआ और उन्होंने पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने शुरू में इसे लापता व्यक्ति का मामला दर्ज किया था, लेकिन अब पोस्टमार्टम के जरिए गोपन स्वामी की मौत के असली कारण का पता लगाया जाएगा।
इससे पूर्व, पुलिस ने व्यापक सुरक्षा उपाय किए थे जिसमें एक फोरेंसिक सर्जन के नेतृत्व में मेडिकल टीम के साथ इलाके में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस आगे की जांच करेगी और पोस्टमार्टम के बाद शव परिवार को सौंप दिया जाएगा।
इसके बाद परिवार ने केरल उच्च न्यायालय का रुख किया और पुलिस को ‘समाधि’ स्थल को ध्वस्त करने, उसकी खुदाई के प्रयास से रोकने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया। हालांकि, अदालत ने जांच में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि जांच एजेंसियों को ऐसे व्यक्तियों से जुड़े मामलों की जांच करने का अधिकार है जो लापता हो जाते हैं या संदिग्ध परिस्थितियों में मर जाते हैं। अदालत ने कहा कि इस मामले में कुछ संदिग्ध लग रहा है, इसलिए जांच को रोका नहीं जा सकता।
उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता से जांच को लेकर उसकी आशंकाओं के बारे में पूछा और यह भी पूछा कि उसके पति की मौत कैसे हुई। पुलिस सूत्रों के अनुसार, शव का पोस्टमार्टम बृहस्पतिवार को ही होगा। नेय्याट्टिनकारा पुलिस को राजस्व संभागीय अधिकारी (आरडीओ) से शव को पोस्टमार्टम के लिए खोदकर निकालने का आदेश मिला था, जिसे संदिग्ध परिस्थितियों में दफनाया गया था। घटना का पता तब चला जब व्यक्ति के आवास के पास पोस्टर लगे थे, जिसमें लिखा था, ‘‘गोपन स्वामी ने समाधि ले ली है।’’