कठमुल्ला देश के दुश्मन, बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेंगे; कौन हैं ऐसा बोलने वाले जस्टिस एसके यादव
- शेखर कुमार यादव ने कहा था, 'मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि हिन्दुस्तान देश के बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा। यह कानून है। मैं यह बात हाई कोर्ट के जज के तौर पर नहीं बोल रहा। आप अपने परिवार या समाज को ही लीजिए कि जो बात ज्यादा लोगों को मंजूर होती है, उसे ही स्वीकार किया जाता है।'
मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि यह हिन्दुस्तान है और यह देश यहां रहने वाले बहुसंख्यकों के इच्छा के अनुसार चलेगा। ऐसी टिप्पणी करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव फिलहाल चर्चा में हैं। उनकी टिप्पणी को एक वर्ग संविधान के खिलाफ बता रहा है। उन्होंने विश्व हिंदू परिषद की लीगल सेल की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में यह बयान दिया था, जिसकी खूब चर्चा हो रही है। 2026 में रिटायर होने वाले शेखर कुमार यादव ने कहा था, 'मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि हिन्दुस्तान देश के बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा। यह कानून है। मैं यह बात हाई कोर्ट के जज के तौर पर नहीं बोल रहा। आप अपने परिवार या समाज को ही लीजिए कि जो बात ज्यादा लोगों को मंजूर होती है, उसे ही स्वीकार किया जाता है।'
इसके अलावा उन्होंने 'कठमुल्ला' शब्द का भी प्रयोग किया था। उनका कहना था, 'लेकिन यह जो कठमुल्ला हैं, यह सही शब्द नहीं है। लेकिन कहने में परहेज नहीं है क्योंकि देश वह देश के लिए बुरा है। देश के लिए घातक है, खिलाफ है। जनता को भड़काने वाले लोग हैं। देश आगे न बढ़े, इस प्रकार के लोग हैं। उनसे सावधान रहने की जरूरत है।' यही नहीं उन्होंने सांस्कृतिक अंतर की बात करते हुए कहा था कि हमारी संस्कृति में बच्चे वैदिक मंत्र और अहिंसा की सीख के साथ बड़े होते हैं। लेकिन कुछ अलग संस्कृति में बच्चे पशुओं के कत्लेआम को देखते हुए बड़े होते हैं। इससे उनके अंदर दया और सहिष्णुता का भाव ही नहीं रहता। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने पहली बार इस तरह किसी सार्वजनिक मंच से बयान दिया है।
लोगों की यह भी उत्सुकता है कि आखिर जस्टिस शेखर यादव कौन हैं और कब से लीगल प्रोफेशन में हैं…
इलाहाबाद हाई कोर्ट में 12 दिसंबर, 2019 को जॉइन करने वाले जस्टिस शेखर कुमार यादव का करीब 34 साल पुराना लीगल करियर है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से 1988 में लॉ ग्रैजुएट शेखर कुमार यादव ने 1990 में वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में वह प्रैक्टिस करने लगे थे। राज्य की स्टैंडिंग काउंसिल में वह रहे हैं। इसके अलावा अडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट भी रह चुके हैं। रेलवे और भारत सरकार के वकील के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। शेखर कुमार यादव को अतिरिक्त जज के तौर पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में जगह मिली थी। फिर 26 मार्च, 2021 को उन्हें स्थायी जज के तौर पर शपथ दिलाई गई।