सायरन बजने से खुली आंख और तुरंत घर से बाहर भागे, नहीं तो मारे जाते; जम्मू के लोगों ने क्या बताया
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने अतिरिक्त जिला विकास आयुक्त राज कुमार थापा के आवास पर पहुंचकर उनके परिवार से मुलाकात की, जिनकी पाकिस्तान की ओर से राजौरी शहर पर गोलाबारी में मौत हो गई।

पाकिस्तान के मोर्टार और ड्रोन हमलों से प्रभावित जम्मू शहर की रिहाड़ी कॉलोनी के एक निवासी ने पूरे घटनाक्रम को याद किया। उन्होंने कहा कि सायरन की आवाज सुनकर हमारी आंखें खुल गईं और कुछ ही देर बाद ही एक भीषण विस्फोट ने हमारे घर को हिलाकर रख दिया। भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से रात भर कई ड्रोन हमलों को नाकाम किया गया। इसके कुछ घंटों बाद शनिवार तड़के जम्मू शहर के रिहाड़ी और रूप नगर सहित कुछ रिहायशी इलाकों में गोले और संदिग्ध ड्रोन के हमले किए गए। जम्मू में 6 स्थानों पर हमले हुए। हमले में सबसे ज्यादा प्रभावित घनी आबादी वाली रिहाड़ी कॉलोनी हुई जहां एक बम गुलशन दत्त के घर पर आ गिरा। इससे इमारत और आसपास के कई वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। इस घटना में एक व्यक्ति घायल हो गया, लेकिन परिवार बाल-बाल बच गया।
दत्त की पत्नी ने घटना को याद करते हुए कहा, ‘सायरन की आवाज से हमारी आंखें खुलीं और हम बालकनी में आने के बाद भूतल की ओर भागे। कुछ ही पलों में हमारे घर में एक जबरदस्त धमाका हुआ।’ उन्होंने कहा कि सायरन ने हमारी जान बचा ली। अगर हम नहीं जागते तो हम मर जाते। माता रानी ने हमें बचा लिया। रिहाड़ी कॉलोनी में तबाही के दृश्य युद्ध क्षेत्र जैसे हैं। तबाह इमारतों के कंक्रीट के हिस्से, टूटी खिड़कियां और क्षतिग्रस्त दीवार और वाहन देखे जा सकते हैं। दत्त ने आज सुबह करीब सवा पांच बजे विस्फोट सुना जिसने उनके पूरे घर को हिलाकर रख दिया। उन्होंने कहा, ‘हमारा पूरा घर हिल गया। हमें लगा कि अब सब खत्म हो गया है।’
शंभू मंदिर को निशाना बनाकर हमला
एक अन्य बम आप शंभू मंदिर को निशाना बनाकर दागा गया, लेकिन वह सुनसान घर के पास गिरा जिससे बड़ी जनहानि टल गई। एक श्रद्धालु सुदेश कुमार ने कहा, ‘हम सुबह की पूजा के लिए आए थे, तभी एक जोरदार विस्फोट ने सन्न कर दिया। हर तरफ मलबा बिखर गया।’ उन्होंने कहा कि अगर यह और बाद में हुआ होता तो कई लोगों की जान जा सकती थी। जानीपुर में एक घर की छत पर भी गोला गिरा, जिससे आसपास के इलाके में काफी नुकसान हुआ। हालांकि, डर के कारण परिवार ने घर बंद कर दिया और दूसरी जगह चले गए। जानीपुर निवासी ओमकार सिंह ने कहा, ‘हम ड्रोन अलर्ट के कारण पूरी रात जागते रहे। फिर विस्फोट हुए। अब डर का माहौल है। लोग अपने घरों में भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।’
'1971 के युद्ध की यादें ताजा'
हजूरीबाग की शकुंतला देवी ने भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘वे अब नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। जब वे हमारी सेना से नहीं लड़ सके तो निर्दोष लोगों पर हमला करके हमें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।’ एक व्यापारिक केंद्र के पास गोदाम में काम करने वाले करतार चंद ने आज सुबह पास में एक गोला फटते देखा। उन्होंने कहा, ‘हम डरे नहीं है, लेकिन पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी होगी। उसे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने से रोका जाना चाहिए।’ तालाब तिल्लो निवासी देवी शरण गुप्ता ने कहा कि इन हमलों ने 1971 के युद्ध की यादें ताजा कर दीं। उन्होंने कहा, ‘मैंने तब से जम्मू में ऐसा कुछ नहीं देखा। रिहायशी इलाकों को इस तरह निशाना बनाना सोच से परे है।’ शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी हमलों की निंदा की थी।