पाकिस्तान पर बड़ी आर्थिक चोट की तैयारी, IMF के बेलआउट पैकेज पर मतदान से दूर रहा भारत
पाकिस्तान IMF से 7 अरब डॉलर के विस्तारित कोष सुविधा (EFF) समझौते के तहत वित्तीय मदद मांग रहा है, जिसमें मई 2025 में 1.3 अरब डॉलर की किश्त शामिल है, ताकि अर्थव्यवस्था को स्थिर किया जा सके।

आतंकवाद को पालने वाले पाकिस्तान को भारत बड़ा आर्थिक झटका देने की तैयारी में है। नई दिल्ली का प्रयास है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से इस्लामाबाद को मिलने वाली धनराशि रोकी जा सके। इसके लिए भारत ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता से आतंकी खतरे की आशंका जताई है। साथ ही, नई दिल्ली ने पाकिस्तान के लिए बेलआउट पर वोटिंग से शुक्रवार को दूरी बना ली। भारत ने पाकिस्तान के मामले में IMF कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर चिंता जताई और उसका खराब ट्रैक रिकॉर्ड सबके सामने रखा।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अगली आईएमएफ बेलआउट किश्त की मांग कर रहा है। भारत की ओर से इसका तगड़ा विरोध किया गया। दरअसल, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ था। इसमें 26 लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इसके बाद से भारत ने पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों को काफी हद तक कम कर दिया है। भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जिससे समय के साथ पाकिस्तान की जल आपूर्ति में भारी कमी आएगी।
इधर-उधर से कर्ज लेने की फिराक में पाकिस्तान
सूत्रों ने बताया कि भारत फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) से भी संपर्क करेगा ताकि पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाए। देश को ग्रे लिस्ट में जोड़ने से आतंकवाद को पनाह देने वाले पाकिस्तान के लिए कर्ज लेना मुश्किल हो जाएगा। जुलाई 2024 में IMF ने पाकिस्तान के साथ 7 अरब डॉलर के 37 महीने के विस्तारित कोष सुविधा (EFF) समझौते को मंजूरी दी थी, जिसमें समय-समय पर किश्तें दी जाती हैं। इस्लामाबाद का कहना है कि ताजा मदद विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने, महंगाई को नियंत्रित करने और आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिए चाहिए। पाकिस्तान ने हाल ही में चीन से भी 30 अरब युआन के मुद्रा विनिमय समझौते को 40 अरब युआन तक बढ़ाने की गुहार लगाई है, जो उसकी आर्थिक तंगी को दर्शाता है।
'आतंक को पालने में हो सकता है धन का इस्तेमाल'
भारत ऐसी आर्थिक मदद का विरोध करता रहा है, क्योंकि उसका मानना है कि पाकिस्तान इन फंड्स का दुरुपयोग आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में करता है। नई दिल्ली का कहना है कि IMF से मिलने वाला पैसा आतंकवाद को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दे सकता है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि IMF बोर्ड को पाकिस्तान के आतंकवाद से जुड़े रिकॉर्ड को ध्यान में रखना चाहिए। भारत ने IMF की बैठक में इस मुद्दे को उठाया और पाकिस्तान को वित्तीय पैकेज देने के खिलाफ मतदान किया। भारत का यह रुख वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने की रणनीति का हिस्सा है।