Hindi Newsदेश न्यूज़How RSS helped BJP in Haryana to combating strong anti incumbency and to get historic victory Inside Story

हारी हुई बाजी BJP ने कैसे पलटी, RSS ने यूं लिखी थी हरियाणा जीत की पटकथा; इनसाइड स्टोरी

2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान ही जाटलैंड खासकर इस प्रदेश में भाजपा की लोकप्रियता को झटका लगा था। इससे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के बीच अंसतोष बढ़ गया था। संघ ने इसे भांप लिया था।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 9 Oct 2024 03:27 PM
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हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर ना सिर्फ ऐतिहासिक जीत दर्ज की है बल्कि जीत की ‘हैट्रिक’ लगाने वाली राज्य की पहली पार्टी बन गई है। भाजपा ने यह कमाल तब किया है, जब उसे कथित तौर पर डबल और मजबूत एंटी इनकम्बेंसी की मार झेलनी पड़ रही थी। 90 सीटों के लिए हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अकेले 48 सीटें जीती हैं, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस 37 सीटें ही हासिल कर सकीं। कांग्रेस को बड़ी उम्मीद थी कि वह एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर के सहारे भाजपा को राज्य की सत्ता से बेदखल करेगी और 10 साल बाद सरकार में वापसी करेगी लेकिन सब धरा का धरा रह गया।

अभी हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में भी भाजपा को 10 में से पांच सीटों पर जीत से ही संतोष करना पड़ा था लेकिन चार महीने बाद ही हारी हुई बाजी पलट गई। अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि भाजपा ने आखिर ऐसी कौन सी रणनीति बनाई या जमीनी स्तर पर ऐसा क्या किया कि मजबूत सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भाजपा ने इतिहास रच दिया। कहा जा रहा है कि भाजपा की इस ऐतिहासिक जीत का श्रेय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) को जाता है, जिसने सूक्ष्म और ग्रामीण स्तर तक इस जीत की पटकथा लिखी।

भाजपा ने संघ से लगाई गुहार?

2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान ही जाटलैंड खासकर इस प्रदेश में भाजपा की लोकप्रियता को झटका लगा था। इससे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के बीच अंसतोष बढ़ गया था। संघ ने इसे भांप लिया था। आरएसएस ने पिछले साल जुलाई-अगस्त में हरियाणा में एक आंतरिक सर्वे कराया था, जिसमें ये बात प्रमुखता से निकलकर आई कि राज्य की मनोहर लाल खट्टर सरकार के प्रति घोर नाराजगी है। इसके बाद भाजपा ने ग्रामीण स्तर पर मतदाताओं के बीच विश्वास बहाली के लिए संघ से मदद मांगी।

जुलाई में महामंथन, वहीं बनी रणनीति

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 29 जुलाई को नई दिल्ली में एक अहम बैठक हुई, जिसमें संघ के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार, हरियाणा भाजपा प्रमुख मोहनलाल बारडोली और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान समेत कई हस्तियां शामिल हुईं। इस बैठक में ग्रामीण और जमीनी स्तर पर पार्टी की भागीदारी को फिर से जीवित करने पर गहन मंथन हुआ। इसके अलावा इस बैठक में उम्मीदवारों के चयन, ग्रामीण मतदाताओं के साथ संबंधों में सुधार, लाभार्थी योजनाओं को बढ़ावा देने और पार्टी कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों के बीच समन्वय के संबंध में भी कई अहम फैसले लिए गए।

ग्रामीण स्तर तक क्या कदमताल

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद सितंबर की शुरुआत में, आरएसएस ने ग्रामीण मतदाताों के बीच संपर्क कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके लिए हर जिले में कम से कम 150 स्वयंसेवकों को तैनात किया गया। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों के साथ संबंधों को मजबूत करना और भाजपा सरकार के खिलाफ बढ़ती सत्ता विरोधी भावना की धारणा को पलटना था। इस दौरान संघ के स्वयंसेवकों ने भाजपा के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव लाने पर फोकस किया और सरकार की सफल योजनाओं का भी प्रचार-प्रसार किया।

संघ के स्वयंसेवकों ने की 16,000 बैठकें

रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा में संघ के लोगों ने करीब 16,000 बैठकें कीं। वे घर-घर गए और भाजपा का संदेश फैलाया। भाजपा के कार्यकर्ताओं से ज्यादा संघ के स्वयंसेवकों ने मजबूती से जमीनी स्तर पर प्रचार की बागडोर संभाली। संघ के लोगों ने इस दौरान हर दवराजे को खटखटाया और हाथ जोड़कर उनसे वोट मांगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को ग्रामीण मतदाताओं के बीच संपर्क बढ़ाने को कहा गया। उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र लाडवा में विशेष तौर पर फोकस करने को कहा गया।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 से 9 सितंबर के बीच RSS ने हरेक विधानसभा क्षेत्र के बीच करीब 90 बैठकें कीं और भाजपा कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के साथ करीब 200 बैठकें की। इन बैठकों का उद्देश्य भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी को दूर करना आपसी सहयोग बढ़ाना था। बड़ी बात यह है कि लोकसभा चुनाव में संघ ने इस तरह की कोई कसरत नहीं की थी लेकिन इस विधानसभा चुनाव में आरएसएस ने मेहनत कर हरियाणा में हारी हुई बाजी को पलटने में अहम भूमिका निभाई है।

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