गरीबी में बीता बचपन, पर पढ़ाई में अव्वल थे मनमोहन सिंह; क्या थी पाक से जुड़ी एक इच्छा जो रह गई अधूरी
Ex PM Manmohan Singh Death News: मनमोहन सिंह की एक इच्छा अधूरी रह गई। वह अपने पैतृक गांव गाह जाना चाहते थे, जो पाकिस्तान के चकवाल जिले में पड़ता था।
Ex PM Manmohan Singh Death News: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। उन्होंने 92 साल की उम्र में गुरुवार की शाम 9.51 बजे नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अंतिम सांस ली। केंद्र सरकार ने उनके निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। वह 2004 से 2014 तक कुल दस सालों तक देश के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने मनरेगा ले लेकर सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, खाद्य सुरक्षा कानून, भू-अधिग्रहण कानून जैसे कई अहम कानून लाए और देश को बुलंदियों पर पहुंचाया।
हालांकि, यह बात कम ही लोगों को पता है कि डॉ. सिंह का बचपन बहुत ही मुफ्लिसी में बीता था। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने उनके निधन पर शोक जताते हुए मनमोहन सिंह के बचपन के बारे में बताया कि उनकी माता जी का निधन बचपन में ही हो गया था, जब मनमोहन सिंह को इसका होश भी नहीं था। उनके दादा-दादी ने मनमोहन सिंह का लालन-पालन किया था। बकौल शुक्ला मनमोहन सिंह का बचपन बहुत कष्ट में बीता। बावजूद इसके वह पढ़ाई में अव्वल थे। उनके पिता जी पेशावर में काम करते थे।
शुक्ला ने बताया कि मनमोहन सिंह की एक इच्छा अधूरी रह गई। वह अपने पैतृक गांव गाह जाना चाहते थे, जो पाकिस्तान के चकवाल जिले में पड़ता था। राजीव शुक्ला ने बताया कि जब उन्होंने मनमोहन सिंह से पूछा था कि वो उस गांव में क्यों जाना चाहते हैं तो पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि वह उस स्कूल को देखना चाहते हैं, जहां उन्होंने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की और जिंदगी की शुरुआती और बुनियादी तालीम ली थी। मनमोहन सिंह सादगी भरा जीवन जीने के लिए भी जाने जाते हैं। वह सरकारी पैसे का भी खर्च सोत-समझकर किया करते थे।
बकौल शुक्ला, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब उनके सरकारी आवास में बरसात का पानी बरामदे में आ जाता था। एक दिन CPWD के इंजीनियर और कारीगर उसे बनाने आए थे। जब मनमोहन सिंह ने देखा तो उनसे पूछा कि क्या कर रहे हैं तो इंजीनियर ने जवाब दिया कि बरसात का पानी आ जाता है, इसलिए बड़ी सी छतरी लगा रहे हैं। तब मनमोहन सिंह ने पूछा था कि इसमें कितना खर्च आएगा। इंजीनियर ने बताया कि 10 हजार। यह सुनकर मनमोहन सिंह ने काम करवाने से मना कर दिया था।