Hindi Newsदेश न्यूज़Former CJI Chandrachud asks Should one party decide what cases Supreme Court should hear

क्या एक पार्टी तय करेगी कि सुप्रीम कोर्ट किस मामले को सुने, उद्धव सेना के आरोप पर डीवाई चंद्रचूड़

  • शिवसेना मामले में फैसला देर से लेने के आरोपों पर भी पूर्व सीजेआई ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘देखिए, यही समस्या है। असली दिक्कत यह है कि राजनीति का एक निश्चित वर्ग सोचता है कि अगर उनके एजेंडे का पालन करते हैं तो हम स्वतंत्र हैं।’

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानTue, 26 Nov 2024 03:10 PM
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देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शिवसेना (यूबीटी) की ओर से लगाए गए आरोपों पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि कोई एक पार्टी यह नहीं तय कर सकती कि सुप्रीम कोर्ट को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए। दरअसल, शिवसेना नेता संजय राउत ने बीते दिनों चंद्रचूड़ की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने महाराष्ट्र में दल-बदल करने वाले नेताओं के मन से कानून का डर खत्म कर दिया था। राउत ने दावा किया कि अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय नहीं करके चंद्रचूड़ ने दलबदल के लिए दरवाजे और खिड़कियां खुली रखीं।

एएनआई को दिए इंटरव्यू में पूर्व सीजेआई ने शिवसेना के आरोपों पर कहा, 'मेरा जवाब बहुत सरल है। पूरे साल हमने कई मौलिक संवैधानिक मामलों पर सुनवाई की। हम 9 न्यायाधीशों की पीठ के निर्णयों, 7 न्यायाधीशों की पीठ के निर्णयों और 5 जजों की पीठ के फैसलों से निपटते रहे। ऐसे में क्या किसी एक पक्ष या व्यक्ति को यह तय करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए? माफ कीजिए, यह अधिकार मुख्य न्यायाधीश के पास होता है।'

हमारे पास सीमित जनशक्ति, बोले चंद्रचूड़

डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 20 वर्षों से कई मामले सर्वोच्च न्यायालय में लंबित पड़े हैं। उन्होंने कहा, 'अगर आप कहते हैं कि हमें जो समय दिया गया उसमें हमने एक मिनट भी काम नहीं किया तो ऐसी आलोचना जायज है। आप देखिए कि कई अहम संवैधानिक मामले 20 बरसों से सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग हैं। एससी इन 20 साल पुराने मामलों को क्यों नहीं ले रहा है और कुछ हालिया मुद्दों पर सुनवाई क्यों कर रहा है? इस बीच, अगर आप पुराने मामलों को लेते हैं तो आपको बताया जाएगा कि आपने इस विशेष केस को नहीं लिया। हमारे पास सीमित जनशक्ति है और न्यायाधीशों की निश्चित संख्या है। ऐसे में आपको संतुलन बनाना होता है।'

'हमने चुनावी बांड पर लिया फैसला'

शिवसेना मामले में फैसला देर से लेने के आरोपों पर भी पूर्व सीजेआई ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'देखिए, यही समस्या है। असली दिक्कत यह है कि राजनीति का एक निश्चित वर्ग सोचता है कि अगर उनके एजेंडे का पालन करते हैं तो हम स्वतंत्र हैं। हमने चुनावी बांड पर फैसला लिया। क्या यह कोई कम महत्वपूर्ण मामला था? हमने हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मामले में फैसला सुनाया, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के तहत मदरसों को बंद करने का मुद्दा शामिल रहा। हमने व्यक्तियों के विकलांगता अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर सुनवाई की। क्या ये कम जरूरी मामले थे?'

शिवसेना यूबीटी का क्या है आरोप

वर्ष 2022 में अविभाजित शिवसेना में विभाजन के बाद, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले पार्टी के गुट ने एकनाथ शिंदे के साथ दलबदल करने वाले पार्टी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। शीर्ष अदालत ने अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने का दायित्व विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ था। विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को असली राजनीतिक दल घोषित किया था। राउत ने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव के नतीजे पहले से तय थे। उन्होंने कहा कि अगर तत्कालीन पूर्व न्यायाधीश ने अयोग्यता याचिकाओं पर समय पर फैसला किया होता, तो नतीजे अलग होते।

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