Hindi Newsदेश न्यूज़Dabur takes baba Ramdev Patanjali to Delhi High Court over disparaging Chyawanprash ad

‘आदतन अपराधी है बाबा रामदेव की पतंजलि, विज्ञापन पर रोक लगाइए मीलॉर्ड!’ नया विवाद ले HC पहुंचा डाबर

Dabur vs Patanjali Ayurved: सिब्बल ने यह तर्क भी दिया कि पतंजलि का विज्ञापन न केवल उपभोक्ताओं को गुमराह कर रहा है, बल्कि अन्य ब्रांडों को बदनाम भी कर रहा है क्योंकि वह यही संदेश दे रहे हैं।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 24 Dec 2024 02:14 PM
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Dabur vs Patanjali Ayurved: अपने कई उत्पादों के लिए मशहूर कंपनी डाबर ने बाबा रामदेव की पतंजलि के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और उसके उस विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की है, जिसमें कथित तौर पर उसके च्यवनप्राश उत्पादों के खिलाफ पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपमानजनक विज्ञापन चलाने के आरोप हैं। मंगलवार को दायर अपनी याचिका में डाबर ने आरोप लगाया है कि पतंजलि आयुर्वेद उसके च्यवनप्राश उत्पादों के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन चला रही है। याचिका में डाबर ने पतंजलि को तुरंत अपमानजनक विज्ञापन चलाने से रोकने के लिए आदेश देने की मांग की है।

डाबर की अर्जी पर जस्टिस मिनी पुष्करणा ने संबंधित पक्ष को नोटिस जारी किया है और अंतरिम आदेशों पर विचार करने के लिए जनवरी के अंतिम सप्ताह में मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया  है। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब डाबर ने अपनी अर्जी डालकर इस पर सुनवाई की गुहार की, तब जस्टिस पुष्करणा ने शुरू में इसे मध्यस्थता के लिए भेजने की इच्छा जताई, लेकिन डाबर ने बार-बार इस मामले में तत्काल राहत की गुहार लगाई तो उन्होंने अंततः मामले की सुनवाई करने का फैसला किया।

डाबर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने दलील दी कि पतंजलि आयुर्वेद एक आदतन अपराधी है। इसके साथ ही उन्होंने इस साल की शुरुआत में पतंजलि के खिलाफ दर्ज अवमानना ​​याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लेख किया, जिसमें पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने अखबारों में लिखित माफीनामा छपवाया था।

डाबर ने अपनी अर्जी में कहा कि वह पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक स्वामी रामदेव के एक विज्ञापन से व्यथित है, जिसमें वह कहते हैं, "जिनको आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं, चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा में 'असली' च्यवनप्राश कैसे बना पाएंगे?" (यह बताते हुए कि केवल पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश ही 'असली'/प्रामाणिक है; और बाजार में अन्य च्यवनप्राश के निर्माताओं को इस परंपरा के बारे में कोई जानकारी नहीं है, और परिणामस्वरूप, वे सभी नकली/'साधारण' हैं)।

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सिब्बल के अनुसार, अन्य च्यवनप्राश को 'साधारण' कहना यह दर्शाता है कि वे घटिया हैं। उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव की पतंजलि का विज्ञापन च्यवनप्राश की पूरी श्रेणी को अपमानित करता है, जो एक पुरानी आयुर्वेदिक दवा है। सिब्बल ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि सभी च्यवनप्राश को प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लिखित विशिष्ट फॉर्मूलेशन और अवयवों का पालन करना चाहिए, जिससे "साधारण" च्यवनप्राश की धारणा भ्रामक और डाबर जैसे प्रतिस्पर्धियों के लिए हानिकारक हो है क्योंकि इस सेगमेंट में 61.6% बाजार की हिस्सेदारी डाबर की है।

सिब्बल ने यह तर्क भी दिया कि पतंजलि का विज्ञापन न केवल उपभोक्ताओं को गुमराह कर रहा है, बल्कि अन्य ब्रांडों को बदनाम भी कर रहा है, क्योंकि उनके विज्ञापन से यही संदेश जा रहा है कि सिर्फ उन्हीं के पास च्यवनप्राश बनाने की सही ज्ञान और आवश्यक तरीका है बाकी सभी इस मामले में अनाड़ी और दोयम दर्जे के उत्पादक हैं।

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