आरक्षण समाप्त करने की साजिश; हरियाणा में भाजपा सरकार के फैसले पर भड़कीं मायावती
- मायावती ने भाजपा सरकार के फैसले के तुरंत बाद एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, ‘हरियाणा की नई भाजपा सरकार द्वारा एससी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने अर्थात आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड्यंत्र है।’
हरियाणा की भाजपा सरकार ने पहली ही कैबिनेट मीटिंग में अनुसूचित जाति आरक्षण में उप-वर्गीकरण लागू करने का फैसला लिया है। सीएम नायब सिंह सैनी का कहना है कि इससे उन दलित जातियों को लाभ मिल सकेगा, जो अब तक आरक्षण से वंचित रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एससी आरक्षण के वर्गीकरण का अधिकार दिया था। उसी फैसले के आधार पर भाजपा सरकार ने कैबिनेट में यह निर्णय लिया है। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती इस फैसले पर भड़क गई हैं। उन्होंने कहा कि यह आरक्षण को ही खत्म करने की साजिश का हिस्सा है। इसके अलावा समाज में बंटवारे का प्रयास है।
मायावती ने भाजपा सरकार के फैसले के तुरंत बाद एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, 'हरियाणा की नई भाजपा सरकार द्वारा एससी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण को लागू करने अर्थात आरक्षण कोटे के भीतर कोटा की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला दलितों को फिर से बांटने व उन्हें आपस में ही लड़ाते रहने का षड्यंत्र है। यह दलित विरोधी ही नहीं बल्कि घोर आरक्षण विरोधी निर्णय है।' यही नहीं मायावती ने भाजपा हाईकमान को भी इस फैसले को लेकर आड़े हाथों लिया।
मायावती ने कहा कि हरियाणा सरकार को ऐसा करने से रोकने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के आगे नहीं आने से भी यह साबित है कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी आरक्षण को पहले निष्प्रभावी बनाने और अन्ततः इसे समाप्त करने के षडयंत्र में लगी है। जो घोर अनुचित व बीएसपी इसकी घोर विरोधी है। मायवाती ने कहा कि वास्तव में जातिवादी पार्टियों द्वारा एससी-एसटी व ओबीसी समाज में ’फूट डालो-राज करो’ व इनके आरक्षण विरोधी षडयंत्र आदि के विरुद्ध संघर्ष का ही नाम बीएसपी है। इन वर्गों को संगठित व एकजुट करके उन्हें शासक वर्ग बनाने का हमारा संघर्ष लगातार जारी रहेगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी मायावती ने ऐतराज जताया था। उन्होंने तब केंद्र सरकार से अपील की थी कि वह अदालत में सही से पैरवी करे ताकि फैसला बदला जा सके। वहीं दलितों के ही एक वर्ग ने इस फैसले को सही करार दिया है। यहां तक कि अगस्त में ही जब एक वर्ग आरक्षण पर इस फैसले के विरोध में उतरा था तो वहीं वाल्मीकि समुदाय ने कई जगहों पर इसके समर्थन में प्रदर्शन किए थे।