बार-बार एक ही मामला नहीं सुनते रहेंगे, EC से जुड़ी अर्जी पर CJI भड़के; खारिज कर दी अपील
जैन ने CJI खन्ना के सामने दावा किया कि अगर उनको मौका दिया जाए तो वह 48 घंटे में गिनती पूरी करके दिखा सकते हैं।

देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने दो टूक कहा कि अदालत रोज-रोज और बार-बार एक ही मामले की सुनवाई नहीं करती रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा अपनाई जा रही मतगणना प्रक्रिया को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया। दरअसल, सोमवार (7 अप्रैल) को जस्टिस खन्ना की अगुवाई वाली पीठ एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता हंसराज जैन ने अपनी अपील में चुनाव आयोग द्वारा अपनाई जा रही वर्तमान मतगणना प्रणाली में बदलाव की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने मौजूदा तंत्र में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप देने की मांग की थी। इस याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया। इस दौरान जस्टिस खन्ना ने कहा, "हमने पहले ही इस पर फैसला कर लिया है। हम बार-बार इस मामले में उलझे नहीं रह सकते।"
याचिकाकर्ता की अपील क्या थी?
हंसराज जैन ने अपनी अर्जी में कहा था कि EVM -VVPAT को लेकर चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल किया था कि अगर 100 फीसदी EVM को VVPAT से जोड़ा गया और वोटों की गिनती में उसका मिलान किया गया तो 12 दिन लगेंगे लेकिन ऐसा नहीं है। जैन ने CJI खन्ना के सामने दावा किया कि अगर उनको मौका दिया जाए तो वह 48 घंटे में गिनती पूरी करके दिखा सकते हैं। जैन ने यह भी बताया कि उन्होंने इस तथ्य से पहले चुनाव आयोग को अवगत कराया था लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया तो हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी लेकिन हाई कोर्ट ने भी उनकी बात नहीं सुनी, इसलिए अब यहां अपील लेकर आए हैं।
एक साल पहले हो चुकी सुनवाई
इस पर सीजेआई ने कहा कि हम इस मामले पर पहले ही सुनवाई कर चुके हैं और अब इस पर कोई सुनवाई नहीं कर सकते। इसके साथ ही कोर्ट ने हंसराज जैन की अर्जी खारिज कर दी। बता दें कि पिछले साल अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनावों से छीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों का उपयोग करके ईवीएम के माध्यम से डाले गए वोटों का 100 प्रतिशत सत्यापन करने की मांग की गई थी।
तत्कालीन पीठ में शामिल रहे जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा था कि चुनावी प्रक्रिया पर अंधाधुंध सवाल उठाने से अनुचित संदेह पैदा हो सकता है और इससे देश की प्रगति में बाधा आ सकती है। इस बीच, चुनाव आयोग ने कहा था कि मौजूदा मतगणना प्रणाली, जिसमें ईवीएम और वीवीपीएटी का उपयोग शामिल है,पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करती है। आयोग ने तब कहा था कि हरेक विधानसभा क्षेत्र में किसी भी पांच मतदान केंद्रों से वीवीपीएटी पर्चियों को रैंडमली सत्यापित करने का मौजूदा प्रोटोकॉल पारदर्शी है।