Hindi Newsदेश न्यूज़Bombay High Court acquits 64 year old of rape charges as 8 year old girl was not petrified

रेप होता तो खेलने नहीं जाती… हाईकोर्ट ने 8 साल की बच्ची से रेप के आरोपी को किया बरी

  • बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने रेप के एक आरोपी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने तर्क दिया है कि अगर 8 साल की बच्ची के साथ रेप हुआ होता तो वह डर जाती और खेलने नहीं जाती।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तान, नागपुरTue, 1 Oct 2024 03:36 PM
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बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने 64 साल के एक रेप को आरोपी को बरी कर दिया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि बच्ची अगर यौन उत्पीड़न का शिकार हुई होती तो वह डर जाती और सामान्य व्यवहार नहीं करती या खेलती नहीं। आरोपी को मार्च 2019 में आठ साल की बच्ची के साथ कथित रूप से बलात्कार करने के लिए पोक्सो अधिनियम और आईपीसी की धारा 376एबी के तहत 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

विजय जवांजल नाम का यह शख्स अमरावती जिले के अचलपुर का रहने वाला है। जस्टिस गोविंदा सनप ने जवांजल को जेल से रिहा करने का आदेश देते हुए कहा, "यदि आरोपी ने बलात्कार किया था तो यह एक जघन्य कृत्य था। इस तरह के हादसे के बाद निस्संदेह बच्ची बहुत डर गई होती। इससे उसे बहुत दर्द और आघात पहुंचा होता। सामान्य परिस्थितियों में वह इस तरह के हादसे के बाद मौके से भागकर अपने घर चली जाती और अपनी मां को घटना के बारे में बताती।"

बच्ची ने अगले दिन दी थी जानकारी

वकील के मुताबिक तीसरी कक्षा की छात्रा, पीड़िता अपने घर के पास एक सामुदायिक मंदिर में खेलने गई थी। लेकिन कुछ समय तक बच्ची वहां नहीं दिखी। काफी देर बाद जब बच्ची लौटी तो मां ने उसे उसे स्कूल पहुंचा दिया। स्कूल से लौटने के बाद लड़की उदास और असहज लग रही थी। उसने अगले दिन अपनी मां को बताया कि आरोपी ने उसे मिठाई दी थी उसके प्राइवेट पार्ट को जबरदस्ती छुआ था और उसे दर्द हो रहा था। इसके बाद मां ने असेगांव पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी।

मां ने सिखाया था आरोपी का नाम- कोर्ट

मां की गवाही का हवाला देते हुए जस्टिस सनप ने बताया कि जब वह अपनी बेटी को खोजने गई तो उसने देखा था कि आरोपी पास में बैठा था और लड़की खेल रही थी। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अदालत को सतर्क रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्ची को किसी भी तरह से कुछ सिखाया ना जाए। जज ने कहा कि पीड़िता ने खुद बताया कि उसे आरोपी का नाम बताने के लिए उसकी मां ने सिखाया था। उन्होंने कहा, "लड़की ने कहा है कि उसकी मां ने उसे अदालत को यह बताने के लिए कहा था कि आरोपी कौन है नहीं तो उसे सजा दी जायेगी। उस दिन उसे लू लग गई थी। उसने कहा है कि उसके प्राइवेट पार्ट में दर्द और खुजली थी। उसकी मां ने नकली सबूत गढ़े।"

आजीवन कारावास की मिली थी सजा

सेशंस कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी थी। उसने तर्क दिया था कि उनका पोटेंसी टेस्ट नहीं कराया गया था क्योंकि उस समय उनकी उम्र 60 साल थी और मेडिकल रिपोर्ट से मामले का पता नहीं चल पाया था।

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