पत्नी मुसलमान तो मंत्री को कहा 'हाफ पाकिस्तानी'; भाजपा विधायक को अब HC की नसीहत
- विधायक पर आरोप है कि उन्होंने मंत्री दिनेश गुंडू राव को हाफ पाकिस्तानी कहा था क्योंकि उनकी पत्नी मुस्लिम हैं। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि ऐसी टिप्पणी तो देश के सारे मुस्लिम समुदाय को ही पाकिस्तानी घोषित करने वाली हुई, जबकि वे भारत में रहते हैं।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने भाजपा के विधायक बासनगौड़ा पाटिल यतनाल को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि आप किसी को हाफ पाकिस्तानी कैसे कह सकते हैं। अदालत ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव को लेकर की गई टिप्पणी पर यह बात कही। विधायक पर आरोप है कि उन्होंने मंत्री दिनेश गुंडू राव को हाफ पाकिस्तानी कहा था क्योंकि उनकी पत्नी मुस्लिम हैं। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि ऐसी टिप्पणी तो देश के सारे मुस्लिम समुदाय को ही पाकिस्तानी घोषित करने वाली हुई, जबकि वे भारत में रहते हैं और उसे अपनी मातृभूमि मानते हैं।
जज ने कहा, 'यह क्या है? सिर्फ इसलिए कि उन्होंने मुस्लिम से शादी की है और आप उन्हें हाफ पाकिस्तानी कहेंगे? आप कैसे किसी को ऐसा कह सकते हैं? क्या आपके दिमाग में जो भी आएगा, वह बोल सकते हैं। आप किसी भी समुदाय के बारे में ऐसी बात नहीं कर सकते। वे यहीं रहते हैं।' इस पर भाजपा विधायक यतनाल के वकील वेंकटेश दलवई ने कहा कि उन्होंने अगले ही दिन सफाई दी थी। इस पर जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि ऐसी बातें आजकल आम हो गई हैं। जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा, 'यह अच्छी बात नहीं है। हर दिन ऐसे बयान सुनने को मिलते हैं।' जज ने कहा कि आखिर विधायक ने इस तरह का पर्सनल अटैक क्यों किया।
उन्होंने कहा कि आखिर आपने इस तरह निजी अटैक क्यों किया। हम इस पर रोक नहीं लगाएंगे। आपको ट्रायल कोर्ट में पेश होना होगा। दरअसल विधायक के बयान के खिलाफ मंत्री ने केस दर्ज कराया है और उसे रद्द कराने के लिए विधायक हाई कोर्ट पहुंचे थे। इस पर जस्टिस नागप्रसन्ना ने उन्हें जमकर सुनाया और ट्रायल कोर्ट में सुनवाई का सामना करने का आदेश दिया। यह बयान लोकसभा चुनाव के दौरान का है। उन्होंने कहा था कि दिनेश गुंडू राव के घर में ही एक पाकिस्तान है। इसलिए राष्ट्र विरोधी बयान देने की उनकी आदत हो गई है।
इस मामले का संज्ञान बेंगलुरु की अदालत ने लिया था और उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज करने का आदेश दिया था। अधिवक्ता दलवई ने कहा कि अदालत को इस तरह से संज्ञान नहीं लेना चाहिए और केस को खत्म किया जाना चाहिए। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि हम अदालत से कहेंगे कि केस को यदि खत्म किया जा सके तो कर दें, लेकिन हम स्टे का आदेश नहीं देंगे। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में आजकल इजाफा देखने को मिल रहा है।
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