ED का बड़ा फैसला; अब केवल आपराधिक साजिश के आधार पर दर्ज नहीं होंगे मनी लॉन्ड्रिंग के केस
- प्रवर्तन निदेशायल(ED) ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया है कि वह किसी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केवल आपराधिक साजिश के आधार पर केस दर्ज न किए जाएं। बल्कि इसके अलावा पीएमएलए की धाराएं भी लगाई जाएं।
देश में आर्थिक अपराधों को रोकने वाली संस्था प्रवर्तन निदेशालय ने एक बदलाव करने का फैसला लिया है। ईडी ने अपने अधिकारियों से कहा है कि वे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में केस दर्ज करते समय केवल आपराधिक साजिश की धाराओं पर ही निर्भर न रहें। बल्कि उसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं को भी जोड़ें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुकदमे अदालती कार्यवाही में खरे उतरें।
कुछ दिनों पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग केस के अंतर्गत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 61(2) को ही आधार नहीं माना जा सकता बल्कि इसके लिए पीएमएलए ते तहत भी धाराएं लगाई जानी चाहिए। इसी फैसले को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने अपने अधिकारियों ने पीएमएलए की धारा 66(2) के प्रावधानों को बेहतर ढंग से उपयोग में लाने के लिए कहा है।
इस प्रावधान की खासियत यह है कि यह किसी क्राइम के बारे में पुलिस विभाग या सीमा शुल्क जैसी किसी एजेंसी के साथ में जानकारी साझा करने का अधिकार देता है। इससे नई एफआईआर दर्ज करने या शिकायत दर्ज की जा सकती है, जिसके आधार पर एजेंसी अपना मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर सकती है।
अदालत ने फैसला सुनाया कि मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू करने के लिए सिर्फ आईपीसी की धारा 120-बी आधार नहीं हो सकती। सूत्रों ने बताया कि कुछ मामलों में ईडी की कुछ प्राथमिकी या मुकदमे रद्द कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि इसलिए यह निर्देश दिया गया है कि एक ठोस मामला बनाने के लिए पीएमएलए की अनुसूची में सूचीबद्ध कानून की अन्य धाराओं को ईडी की प्राथमिकियों में दर्ज किया जाना चाहिए।