हिंदुओं के लिए देवता जैसे बालासाहेब, 26 जनवरी को PM करें भारत रत्न का ऐलान; उद्धव सेना की डिमांड
- राउत ने कहा, 'बालासाहेब हिंदुओं और मराठी माणुस के लिए भगवान जैसे हैं। राम मंदिर उन्हीं के प्रयासों से बन रहा है। कई हिंदू संगठनों की ओर से मांग की जाती रही है कि बालासाहेब ठाकरे को भारत रत्न दिया जाए। इसलिए हम आज मांग करते हैं कि पीएम मोदी 26 जनवरी को उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान कर दें।'
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शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे को भारत रत्न से सम्मानित करना चाहिए। इसका ऐलान पीएम नरेंद्र मोदी को 26 जनवरी के मौके पर कर देना चाहिए। उद्धव सेना के सांसद संजय राउत ने गुरुवार को यह मांग की। उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की जयंती के मौके पर कहा कि बालासाहेब ठाकरे सभी हिंदुओं और मराठी माणुस के लिए भगवान की तरह हैं। उन्होंने कहा कि आज यदि अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है तो इसमें बालासाहेब ठाकरे का अहम योगदान था। राउत ने कहा, 'बालासाहेब हिंदुओं और मराठी माणुस के लिए भगवान जैसे हैं। राम मंदिर उन्हीं के प्रयासों से बन रहा है। कई हिंदू संगठनों की ओर से मांग की जाती रही है कि बालासाहेब ठाकरे को भारत रत्न दिया जाए। इसलिए हम आज मांग करते हैं कि पीएम मोदी 26 जनवरी को उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान कर दें।'
इस बीच उद्धव सेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में अमित शाह और एकनाथ शिंदे पर हमला बोला है। अखबार के अग्रलेख में एकनाथ शिंदे को गद्दार बताया गया है और मराठों की पानीपत की तीसरी लड़ाई में हार से तुलना की गई है। लेख में कहा गया कि बालासाहेब ठाकरे का नाम अमित शाह जैसे नेता महाराष्ट्र में आकर खूब लेते हैं। ऐसा करने से वे कभी हिचकते नहीं हैं, लेकिन यह भी सच है कि उनके द्वारा खड़ी की गई शक्ति शिवसेना को इन लोगों ने ही कमजोर किया। 'सामना' लिखता है कि जैसे पानीपत की तीसरी लड़ाई में कुछ लोगों ने सदाशिव राव भाऊ के साथ गद्दारी की थी, वैसे ही एकनाथ शिंदे जैसे गद्दार को खड़ा कर दिया गया।
यही नहीं मुखपत्र में भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के सत्ता में आने का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि इसकी वजह मराठियों का अलग-अलग जातियों में बंट जाना है। अखबार लिखता है, 'बीते कुछ सालों में प्रदेश की कई जातियों ने आरक्षण की मांग उठाई है। इससे भी समाज का वातावरण खराब हुआ है। आज महाराष्ट्र बालासाहेब ठाकरे को याद कर रहा है। महाराष्ट्र लुटेरों के हाथ में चला गया है। मराठी लोगों को जातियों और उपजातियों में बांटा जा रहा है। जो कभी मराठी होने के नाम पर एकजुट होते थे, उन्हें आज धनगर, ओबीसी, माली, वंजारी, दलित और मुसलमान बनाया जा रहा है। फिर ये लोग आपस में लड़ाए जा रहे हैं।'