Hindi Newsदेश न्यूज़Ancient warship wreck found Lakshadweep divers near Kalpeni Island from 17th or 18th century

लक्षद्वीप में गोताखोरों के हाथ लगा ‘खजाना’, समुद्र से ढूंढ निकाला प्राचीन युद्धपोत

  • समुद्री खोजकर्ता ने कहा, 'कलपेनी के पश्चिमी किनारे पर हमें यह मलबा मिला। उस वक्त तक नहीं पता था कि यह कोई युद्धपोत था। कुछ समय बाद हमें वहां पर एक तोप और लंगर भी मिला। ऐसे में हमें एहसास हुआ कि यह एक बड़ी खोज हो सकती है।'

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानSun, 5 Jan 2025 10:05 AM
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लक्षद्वीप में गोताखोरों ने एक अहम खोज की है। 17वीं या 18वीं शताब्दी के यूरोपीय युद्धपोत का मलबा उनके हाथ लगा है। दरअसल, गोताखोर लक्षद्वीप द्वीपसमूह में कल्पेनी द्वीप के पास समुद्री जीवन की खोज पर निकले थे, जहां उन्हें युद्धपोत मिला। यह द्वीप के पश्चिमी किनारे पर पड़ा हुआ था। रिसर्चर्स का मानना है कि जहाज का मलबा तीन यूरोपीय देशों (पुर्तगाल, डच या ब्रिटिश) से संबंधित है। यह इस क्षेत्र में इस तरह की पहली खोज बताई जा रही है। जहाज का जो मलबा मिला है उसे लेकर आगे की स्टडी जारी है।

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अब तक अध्ययन से पता चला कि 17वीं और 18वीं शताब्दी में समुद्री संघर्षों से इस मलबे का ऐतिहासिक लिंक हो सकता है। खासकर जब मध्य पूर्व और श्रीलंका के बीच व्यापार मार्ग को लेकर प्रभुत्व की लड़ाई हुआ करती थी। मौके से एक तोप की उपस्थिति और जहाज के आकार से पता चलता है कि यह युद्धपोत रहा होगा। इसे लोहे और लकड़ी को मिलाकर बनाया गया था।

‘पहले कभी यहां जहाज का मलबा नहीं मिला’

एक समुद्री खोजकर्ता ने कहा, 'कलपेनी के पश्चिमी किनारे पर हमें यह मलबा मिला। उस वक्त तक नहीं पता था कि यह कोई युद्धपोत था। कुछ समय बाद हमें वहां पर एक तोप और लंगर भी मिला। ऐसे में हमें एहसास हुआ कि यह एक बड़ी खोज हो सकती है।' इदरीस बाबू विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में एक वैज्ञानिक हैं। वह गोताखोरों के समूह के मेंटर हैं। उन्होंने टीओआई से बात करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में पहले ऐसे जहाज का मलबा नहीं मिला। उन्होंने कहा कि यह जहाज 50-60 मीटर लंबी रही होगी। ईस्ट इंडिया कंपनी 17वीं या 18वीं सदी में इस व्यापार मार्ग पर लोहे के जहाजों का इस्तेमाल करती थी। अब इसे लेकर और अधिक जानने के लिए पानी के नीचे पुरातात्विक अध्ययन की जरूरत होगी।

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