विवादों के बीच PM मोदी से मिला दाऊदी बोहरा प्रतिनिधिमंडल, वक्फ ऐक्ट पर कहा- शुक्रिया
गुरुवार को दाऊदी बोहरा समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर वक्फ संशोधन अधिनियम के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और कहा कि उनकी लंबित मांगें पीएम ने पूरी कर दीं।

एक तरफ जहां देश में वक्फ संशोधित ऐक्ट के विरोध में 100 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं और उन पर सुनवाई हो रही हैं और दूसरी तरफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं मुस्लिमों का एक वर्ग इस कानून के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा कर रहा है। दाऊदी बोहरा समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने इसी मकसद से आज (गुरुवार, 17 अप्रैल को) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और वक्फ (संशोधन) अधिनियम के लिए उनका आभार व्यक्त किया, जिसमें उनकी कुछ प्रमुख मांगों को भी शामिल किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि बोहरा समुदाय के सदस्यों ने पीएम मोदी से कहा कि उनकी लंबे समय से लंबित मांग थी और उन्हें पीएम के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के दृष्टिकोण पर भरोसा था। बैठक में उनके साथ अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे। बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “दाऊदी बोहरा समुदाय के सदस्यों के साथ एक शानदार बैठक हुई! हमने बातचीत के दौरान कई मुद्दों पर बात की।”
1923 से ही वक्फ नियमों से छूट मांग रहे थे
बातचीत में समुदाय के एक सदस्य ने पीएम मोदी को बताया कि वे 1923 से ही वक्फ नियमों से छूट की मांग कर रहे थे। उन्होंने नए कानून के जरिए "अल्पसंख्यकों के भीतर अल्पसंख्यक" का ख्याल रखने के लिए पीएम मोदी की सराहना की। एक अन्य सदस्य ने कहा कि उनके समुदाय ने 2015 में मुंबई के भिंडी बाज़ार में एक प्रोजेक्ट के लिए एक महंगी संपत्ति खरीदी थी और फिर नासिक के किसी व्यक्ति ने 2019 में इस पर वक्फ संपत्ति के रूप में दावा किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि उनकी सरकार ने इस तरह की प्रथा पर रोक लगा दी है।
JPC से भी मिला था प्रतिनिधिमंडल
बोहरा समुदाय, शिया मुसलमानों के बीच एक समृद्ध समुदाय है। संसद की संयुक्त समिति यानी जेपीसी के सामने इस अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व जाने-माने वकील हरीश साल्वे ने किया था। समिति की सिफारिशों के आधार पर ही विधेयक में कई नए संशोधन पेश किए गए, जिसे विपक्षी दलों की तीखी आलोचना के बीच संसद में पारित होने के बाद अधिनियमित किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय फिलहाल इस ऐक्ट की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली करीब 100 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। शीर्ष न्यायालय ने 5 मई तक वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं करने और केंद्रीय वक्फ परिषद एवं वक्फ बोर्ड में नियुक्तियां न करने का केंद्र सरकार से आश्वासन लेने के साथ ही उसे संबंधित अधिनियम की वैधता पर जवाब दाखिल करने के लिए बृहस्पतिवार को सात दिन का समय दिया।