जब तक 15% की होगी उपेक्षा, तब तक नहीं बना सकते ‘विकसित भारत’; क्यों बोल रहे ओवैसी
ओवैसी ने कहा कि जब तक लड़कियों को तालीम नहीं मिल जाती, जब तक बड़ी आबादी गरीब है और जब तक देश की 15 प्रतिशत मुस्लिम आबादी की उपेक्षा होगी, तब तक ‘विकसित भारत’ नहीं बन सकता
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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्रीय बजट की आलोचना करते हुए सोमवार को दावा किया कि इस बजट से ‘विकसित भारत’ नहीं बनने वाला है। उन्होंने लोकसभा में बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए यह आरोप भी लगाया कि यह सरकार अल्पसंख्यकों के प्रति पूर्वाग्रह के भाव से काम कर रही है तथा अकलियतों खासकर मुसलमानों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।
हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने कहा कि जब तक लड़कियों को तालीम नहीं मिल जाती, जब तक बड़ी आबादी गरीब है और जब तक देश की 15 प्रतिशत मुस्लिम आबादी की उपेक्षा होगी, तब तक ‘विकसित भारत’ नहीं बन सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और पूर्वाग्रह का व्यवहार कर रही है।
उन्होंने दावा किया कि अल्पसंख्यकों से संबंधित केंद्रीय स्तर की योजनाओं में आवंटित बजट पूरा खर्च नहीं किया जा रहा है। ओवैसी ने आरोप लगाया, ‘‘ सरकार ने अकलियतों और खासकर मुसलमानों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार वक्फ संपत्तियों को आमदनी का जरिया नहीं बनाना चाहती, बल्कि उन्हें खत्म करना चाहती है।’’
उन्होंने दावा किया कि मध्यम वर्ग को ‘बलि का बकरा’ बनाया जा रहा है। चर्चा में भाग लेते हुए आरएसएपी नेता एनके प्रेमचंदन ने कहा कि यह विकासोन्मुखी बजट नहीं है और इसमें आम लोगों के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि केरल और तमिलनाडु के साथ ‘सौतेला व्यवहार’ बंद होना चाहिए।
राज्यसभा में भी विपक्षी दलों ने देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के बीच आय संबंधी असमानता समेत कई मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि केंद्रीय बजट में गरीब और ग्रामीण आबादी का ध्यान नहीं रखा गया है। राज्यसभा में केंद्रीय बजट 2025-26 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि आम बजट में कोई दर्शन नहीं है बल्कि यह राजनीति से प्रेरित है और इसके उद्देश्य की पूर्ति पिछले दिनों दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों से हो गई।