BJP की जीत में ओवैसी का गिलहरी जैसा योगदान; खुद नहीं जीते, लेकिन बने X फैक्टर
- मुस्तफाबाद सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प था। इस सीट पर मुस्लिम मतदाता लगभग 40 प्रतिशत थे और भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने 17,578 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
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दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस का गठबंधन नहीं हो पाया। इसके कारण भारतीय जनता पार्टी (BJP) को एक निर्णायक जीत मिली है। इसी बीच एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन की भी चर्चा हो रही है। ओवैसी की अगुवाई में चलने वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) कोई भी सीट जीतने में सफल नहीं रही, लेकिन उसके एक उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे और एक ने भाजपा की जीत में भूमिका निभाई।
AIMIM ने दिल्ली चुनाव में दो उम्मीदवार उतारे थे। शिफा उर रहमान खान ओखला से और ताहिर हुसैन मुस्तफाबाद से चुनाव लड़ रहे थे। दोनों ही उम्मीदवार 2020 के दिल्ली दंगों में आरोपी हैं और फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। दोनों ही उम्मीदवारों ने कांग्रेस को चौथे स्थान पर धकेलते हुए तीसरे स्थान पर अपनी स्थिति बनाई।
ओखला विधानसभा सीट पर AAP के नेता और मौजूदा विधायक अमानतुल्ला खान ने 23,639 वोटों से जीत हासिल की। भाजपा के मनीष चौधरी ने दूसरे स्थान पर और शिफा उर रहमान खान ने तिहाड़ जेल में रहते होते हुए 39,558 वोट हासिल किए। कांग्रेस की अरीबा खान को 12,739 वोट मिले। अल्पसंख्यक वोटों के बंटवारे के बावजूद तीन बार विधायक रहे अमानतुल्ला खान अपनी सीट पर काबिज रहने में सफल रहे। हालांकि उनका जीतने का मार्जिन 50,000 से अधिक घट गया।
मुस्तफाबाद सीट पर रोमांचक मुकाबला
मुस्तफाबाद सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प था। इस सीट पर मुस्लिम मतदाता लगभग 40 प्रतिशत थे और भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने 17,578 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। AAP के अदील अहमद खान ने 67,637 वोट हासिल किएय़ AIMIM के ताहिर हुसैन को 33,474 वोट मिले और कांग्रेस के अली मेहदी को 11,763 वोट मिले। विपक्षी वोटों के बंटवारे ने भाजपा को आरामदायक जीत दिलाई।
चुनाव से पहले दोनों AIMIM उम्मीदवारों को प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उन्होंने पार्टी नेताओं विशेष रूप से ओवैसी के साथ कई रोड शो किए, जो चुनाव में अपनी पार्टी का समर्थन बढ़ाने के लिए दिल्ली पहुंचे थे।
मुस्तफाबाद में भाजपा के लिए एक और दिलचस्प सीन सामने आया। इस सीट पर मोहन सिंह बिष्ट पहले करावल नगर के विधायक रहे। 2015 के चुनाव में कपिल मिश्रा आप के सिंबल पर विधायक बने थे। वह अब भाजपा में हैं। उन्होंने ही बिष्ट को हराया था। बिष्ट ने 2020 में फिर से सीट जीत ली। इस बार भाजपा ने करावल नगर से कपिल मिश्रा को उम्मीदवार बनाया। मोहन सिंह बिष्ट इस पर नाराज थे और उनका मानना था कि भाजपा गलती कर रही है। उन्हें शांत करने के लिए भाजपा ने उन्हें मुस्तफाबाद से उम्मीदवार बनाया और यह दांव सफल साबित हुआ।