Hindi Newsदेश न्यूज़Aimim Chief Asaduddin Owaisi got angry after court notice was issued on Ajmer Sharif Dargah slams PM Modi

कई राजा-महाराजा आए और चले गए…अजमेर शरीफ पर अदालती नोटिस जारी हुआ तो PM पर भड़के ओवैसी

ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि सुल्तान-ए-हिन्द ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं। उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 27 Nov 2024 10:30 PM
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राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए एक वाद स्थानीय अदालत में दायर किया गया है, जिसे अदालत ने सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए तीन पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। हैदराबाद से सांसद और AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर सख्त नाराजगी जताई है और कहा है कि यह बहुत ही अफसोसनाक बात है कि हिंदुत्व का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान की धज्जियाँ उड़ायी जा रहीं हैं और प्रधानमंत्री चुप चाप ये सब देख रहे हैं।

ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “सुल्तान-ए-हिन्द ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं। उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह। कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गये, लेकिन ख़्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है। 1991 का इबादतगाहों का क़ानून साफ़ कहता है के किसी भी इबादतगाह की मज़हबी पहचान को तब्दील नहीं किया जा सकता, ना अदालत में इन मामलों की सुनवाई होगी। ये अदालतों का क़ानूनी फ़र्ज़ है के वो 1991 एक्ट को अमल में लायें। बहुत ही अफ़सोसनाक बात है के हिंदुत्व तंज़ीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए क़ानून और संविधान की धज्जियाँ उड़ायी जा रहीं हैं और @narendramodi चुप चाप देख रहे हैं।”

इस मामले के वादी विष्णु गुप्ता के अधिवक्ता योगेश सिरोजा ने अजमेर में संवाददाताओं को बताया कि वाद पर दीवानी मामलों के न्यायाधीश मनमोहन चंदेल की अदालत में सुनवाई हुई। सिरोजा ने कहा, ‘‘दरगाह में एक शिव मंदिर होना बताया जा रहा है। उसमें पहले पूजा पाठ होता था… पूजा पाठ दोबारा शुरू करवाने के लिये वाद सितंबर 2024 में दायर किया गया। अदालत ने उस वाद को स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किए हैं।’’

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उन्होंने बताया कि इस संबंध में अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) कार्यालय-नयी दिल्ली को समन जारी किए गए हैं। वादी विष्णु गुप्ता ने कहा, ‘‘हमारी मांग थी कि अजमेर दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाये और दरगाह का किसी प्रकार का पंजीकरण है तो उसको रद्द किया जाए। उसका सर्वेक्षण एएसआई के माध्यम से किया जाए और वहां पर हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार दिया जाए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने माननीय अदालत को अपने वाद के आधार के बारे में बताया और लंबी बहस के बाद अदालत ने शाम को नोटिस जारी किया।’’ गुप्ता ने कहा, ‘‘अदालत में अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी और तब प्रतिवादी अपना जवाब दाखिल करेंगे। उसमें जो भी उनकी आपत्तियां रहेंगी उसका हम जवाब देंगे।’’

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