3 साल पहले की साजिश, संभल का हवाला; अजमेर दरगाह में मंदिर दावे पर क्या बोली अंजुमन समिति
अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाले वाद पर सुनवाई के फैसले पर अंजुमन समिति के सचिव सैयद सरवर चिश्ती का बयान सामने आया है। जानें उन्होंने क्या कहा...
अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए दाखिल वाद पर स्थानीय अदालत ने बुधवार को तीन पक्षकारों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। दीवानी मामलों के न्यायाधीश मनमोहन चंदेल की अदालत ने इस वाद को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है। अब इस मामले को लेकर सियासत गर्म है। अंजुमन समिति के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि यह एक एजेंडा है जिसकी साजिश तीन साल पहले शुरू हुई थी।
अंजुमन समिति के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा- संभल में ही देखिए डेढ़ बजे याचिका दाखिल हुई। एक्स पार्टी साढ़े तीन बजे कमिश्नर को बताती है कि सामने वाले पक्ष को सुना नहीं गया जबकि मस्जिद चार सौ साल पुरानी है और एएसआई में आती है। यहां तक कि शाम को ही कमिश्नर सर्वे करने पहुंच जाते हैं। सर्वे पूरा करते हैं और फिर तीन दिन बाद नारे लगाते हुए दोबारा सर्वे करने आते हैं।
सैयद सरवर चिश्ती ने आगे कहा- कभी बाबरी मस्जिद, कभी मथुरा, कभी काशी, कभी काशी... कहीं मस्जिदें शहीद की जा रही हैं। कहीं दरगाहें, कहीं खानकाहें... कहीं मॉब लिंचिंग? ये तो 10 साल से हो ही रहा है। यह एक एजेंडा है। उसी एजेंडे के तहत सब हो रहा है। विष्णु गुप्ता तालाब में एक मछली मात्र है। वह एक प्यादा है। असल में यह बड़ी साजिश है। इसकी शुरुआत तीन साल पहले हुई थी।
सैयद सरवर चिश्ती ने आगे कहा- पहले से ही इस पर बयानबाजियां चल रही थीं। कभी कोई बयान देता है तो कभी कोई... यह वह दरगाह है जहां हर धर्म और पंथ के लोग आते हैं। हर देश के लोग आते हैं। अफगानिस्तान से इंडोनेशिया तक यह स्थान मुसलमानों के बीच व्यापक रूप से प्रतिष्ठित है। वादी विष्णु गुप्ता के अधिवक्ता योगेश सिरोजा का कहना है कि दरगाह में एक शिव मंदिर होना बताया जा रहा है जिसमें पहले पूजा पाठ तक होती थी। इसी पूजा पाठ को दोबारा शुरू कराने के लिये सितंबर 2024 में वाद दायर किया गया था।