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पहले पति से अलग हुई महिला दूसरे हसबैंड से मांग सकती है गुजारा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

  • कोर्ट ने कहा, 'यह याद रखें कि CrPC की धारा 125 के तहत गुजारा का अधिकारी पत्नी को मिलने वाला फायदा नहीं है, बल्कि पति की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी है।'

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानThu, 6 Feb 2025 09:57 AM
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पहले पति से अलग हुई महिला दूसरे हसबैंड से मांग सकती है गुजारा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

पति से अलग होने के बाद पत्नी के गुजारा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत का कहना है कि एक महिला दूसरे पति से भी गुजारा पाने की हकदार है, भले ही उनकी पहली शादी कानूनी तौर पर खत्म न हुई हो। शीर्ष न्यायालय का कहना है कि अगर महिला और पहला पति सहमति से अलग हुए हैं, तो कानूनी तलाक नहीं होना उसे दूसरे पति से से गुजारा मांगने से नहीं रोकता है।

तेलंगाना हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया था, जिसमें CrPC की धारा 125 के तहत महिला को दूसरे पति से गुजारा मिलने से इसलिए इनकार कर दिया था, क्योंकि उन्होंने पहले पति के शादी को कानूनी रूप से खत्म नहीं किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ महिला की अपील को स्वीकार कर लिया है। जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच मामले की सुनाई कर रही थी।

कोर्ट ने कहा, 'यह याद रखें कि CrPC की धारा 125 के तहत गुजारा का अधिकारी पत्नी को मिलने वाला फायदा नहीं है, बल्कि पति की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी है।'

क्या था मामला

अपीलकर्ता महिला ने पहले पति को औपचारिक तलाक दिए बगैर दूसरे पुरुष और इस मामले में प्रतिवादी से शादी कर ली थी। प्रतिवादी को महिला की पहली शादी के बारे में पता था। दोनों साथ रहे और एक बच्चा भी हुआ, लेकिन कलह के चलते दोनों अलग हो गए। अब महिला ने CrPC की धारा 125 के तहत गुजारा की मांग की थी, जिसे फैमिली कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था।

बाद में हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, क्योंकि पहली शादी कानूनी तौर पर खत्म नहीं हुई थी। प्रतिवादी का तर्क है कि महिला को उसकी पत्नी नहीं माना जा सकता, क्योंकि उसने पहले पति के साथ शादी कानूनी रूप से खत्म नहीं की है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

अब सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब प्रतिवादी-दूसरे पति को महिला की पहली शादी के बारे में पता था। ऐसे में वह सिर्फ इसलिए गुजारा देने से इनकार नहीं कर सकता, क्योंकि महिला की पहली शादी कानूनी तौर पर खत्म नहीं हुई है।

अदालत ने दो तथ्यों पर जोर दिया, 'पहला, यह मामला प्रतिवादी का नहीं है कि उससे सच छिपाया गया था। फैमिली कोर्ट ने साफतौर पर कहा था कि प्रतिवादी को अपीलकर्ता क्रमांक 1 की पहली शादी की पूरी जानकारी थी। प्रतिवादी ने अपीलकर्ता 1 के साथ सब जानते हुए एक नहीं, बल्कि दो बार शादी की।'

कोर्ट ने कहा, 'दूसरा, अपीलकर्ता 1 ने इस कोर्ट के सामने पहले पति से अलग होने का MoU पेश किया ह। यह तलाक का कानूनी सबूत नहीं, लेकिन इस दस्तावेज और अन्य सबूतों से पता चलता है कि दोनों पक्षों ने संबंध खत्म कर लिए हैं और अलग रहे हैं। साथ ही अपीलकर्ता 1 पहले पति से गुजारा नहीं मांग रही है। ऐसे में अपीलकर्ता कानूनी दस्तावेज की अनुपस्थिति में पहले पति से अलग हो चुकी है और उस शादी से उसे कोई अधिकार नहीं मिल रहा है।'

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