महाराष्ट्र में क्या है 62 सीट वाला दांव, जिस पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर; होगी टाइट फाइट
- भाजपा के विदर्भ में जनाधार से पहले यहां कांग्रेस ही मजबूत दल हुआ करती थी। यह चुनाव तब हो रहा है, जब कांग्रेस ने इस इलाके की कई ऐसी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है, जिन्हें भाजपा का गढ़ माना जाता था। अब यदि लोकसभा नतीजों को देखें तो इस इलाके की 42 सीटों पर कांग्रेस और उसके MVA गठबंधन को जीत मिली थी।
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में विदर्भ की भूमिका अहम होती है। राज्य में आम मान्यता है कि विदर्भ जिस ओर रुख करता है, सत्ता उसकी ही हो जाती है। यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस इलाके में जोर लगा रही हैं। भाजपा इस इलाके में मजबूत है तो वहीं महाविकास अघाड़ी के दलों में कांग्रेस का यहां जनाधार माना जाता है। फिर भी यहां चुनौती यह है कि इस इलाके की 62 सीटों में से 40 पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। इस तरह सीधे मुकाबले वाली ये सीटें काफी हद तक विदर्भ और पूरे महाराष्ट्र के ही नतीजे तय कर सकती हैं।
भाजपा के विदर्भ में जनाधार से पहले यहां कांग्रेस ही मजबूत दल हुआ करती थी। यह चुनाव तब हो रहा है, जब कांग्रेस ने इस इलाके की कई ऐसी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है, जिन्हें भाजपा का गढ़ माना जाता था। अब यदि लोकसभा नतीजों को देखें तो इस इलाके की 42 सीटों पर कांग्रेस और उसके MVA गठबंधन को जीत मिली थी। कांग्रेस, शरद पवार और उद्धव सेना को उम्मीद होगी कि लोकसभा चुनाव वाला परिणाम इस क्षेत्र में दोहरा लिया जाए। खासतौर पर मुंबई-ठाणे क्षेत्र और विदर्भ पर महाविकास अघाड़ी की नजर होगी। ये इलाके भाजपा और शिंदे सेना के गढ़ हैं। ऐसे में यहां यदि MVA को बढ़त मिली तो नतीजा उसके पक्ष में हो सकता है।
विदर्भ वह क्षेत्र है, जो महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे देश की वैचारिक दिशा तय करता है। एक तरफ महात्मा गांधी का सेवाग्राम वर्धा यहीं है तो नागपुर में संघ मुख्यालय है, जो हिंदुत्व की राजनीति का केंद्र बिंदु भी है। इसके अलावा यहीं पर भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि है, जो दलित और बौद्ध समाज के लिए श्रद्धा का केंद्र है। भाजपा के दो दिग्गज नेता नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस यहीं से आते हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले भी यहीं के रहने वाले हैं। इसलिए भी यहां टाइट फाइट के आसार हैं। इस क्षेत्र के परिणाम कई बड़े नेताओं की साख का सवाल भी बन सकते हैं।
हालांकि कांग्रेस के आगे चैलेंज बागी नेताओं का है। रविवार रात को ही कांग्रेस ने कुल 22 कैंडिडेट्स को बाहर का रास्ता दिखाया था, जो बागी होकर लड़ रहे हैं। विदर्भ में बागियों की बात करें तो कांग्रेस के सामने नागपुर सेंट्रल, कामटी, रालेगाव, सवनेर और वर्धा में चुनौती है। भाजपा के आगे भी इस इलाके में बागियों से लड़ने की चुनौती है, लेकिन वह कांग्रेस के मुकाबले मजबूत स्थिति में दिख रही है। इसके अलावा रविवार को आए मैट्रिज के सर्वे में भी भाजपा प्लस में दिख रही है। भाजपा को उम्मीद है कि हरियाणा की तरह ही महाराष्ट्र में भी नतीजा बदल सकता है और लोकसभा चुनाव के मुकाबले उलटफेर दिखेगा।