Uddhav Sena Raj Thackeray reunion Shinde Sena steps up MNS outreach BMC Elections उद्धव-राज ठाकरे के बीच फिर बढ़ रहीं नजदीकियां, शिंदे सेना ने भी तेज की कोशिशें; BMC चुनाव पर नजर, Maharashtra Hindi News - Hindustan
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उद्धव-राज ठाकरे के बीच फिर बढ़ रहीं नजदीकियां, शिंदे सेना ने भी तेज की कोशिशें; BMC चुनाव पर नजर

यह देखना दिलचस्प होगा कि राज ठाकरे अपने चचेरे भाई उद्धव के साथ हाथ मिलाते हैं या शिंदे-फडणवीस के साथ गठबंधन को तरजीह देते हैं

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईWed, 14 May 2025 06:33 AM
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उद्धव-राज ठाकरे के बीच फिर बढ़ रहीं नजदीकियां, शिंदे सेना ने भी तेज की कोशिशें; BMC चुनाव पर नजर

महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर ठाकरे बंधुओं के पुनर्मिलन की चर्चा जोर पकड़ रही है। उद्धव की शिवसेना ने अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के साथ गठबंधन की संभावनाओं को फिर से हवा दी है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भी मनसे के साथ नजदीकी बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। शिंदे सेना के वरिष्ठ नेता और मंत्री उदय सामंत ने राज ठाकरे से उनके मुंबई स्थित निवास पर मुलाकात की। इससे बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और अन्य नागरिक निकाय चुनावों से पहले सियासी समीकरण और रोचक हो गए हैं।

उदय सामंत और राज ठाकरे के बीच चौथी मुलाकात

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों के बाद उदय सामंत और राज ठाकरे के बीच चौथी मुलाकात थी। हालांकि सामंत ने इसे एक "शिष्टाचार भेंट" बताया और किसी भी राजनीतिक चर्चा से इनकार किया। उन्होंने कहा, “मैं दादर इलाके में कुछ काम से गया था, तो सोचा राज साहेब से मिल लूं। हमने कुछ घटनाक्रमों पर चर्चा की, लेकिन इसमें कोई राजनीतिक बात नहीं हुई। अगर बीएमसी चुनावों को लेकर कोई बात होती, तो हम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसकी जानकारी देते।”

लेकिन यह मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई है जब राज्य की राजनीति में कई संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी और शिंदे गुट की शिवसेना, राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस को महायुति गठबंधन में शामिल करने की कवायद कर रहे हैं। बीते महीने खुद मुख्यमंत्री शिंदे भी राज ठाकरे से उनके निवास पर मिले थे। वहीं, हाल ही में राज ठाकरे ने डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से भी मुलाकात की थी।

इन मुलाकातों ने शिवसेना (UBT) और एमएनएस के संभावित गठबंधन की चर्चाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं, उद्धव गुट के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इन घटनाक्रमों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने राज ठाकरे के सुलह प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख अपनाया है। राऊत ने कहा, “राज ठाकरे ने शुरुआत की थी, हमने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। आज भी हमारा रुख वैसा ही है। अब फैसला राज ठाकरे को लेना है। हम उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।”

उद्धव की अपील और शिंदे की मुलाकातें

राउत ने मंगलवार को कहा कि उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे के साथ मतभेदों को दरकिनार करने की इच्छा जताई है। राउत ने कहा, "उद्धव जी ने संकेत दिया है कि वह मराठी मानूस और महाराष्ट्र के हित में एकजुट होने को तैयार हैं। अब गेंद राज ठाकरे के पाले में है।" उद्धव ने पिछले महीने एक कार्यक्रम में कहा था कि वह मराठी भाषा और लोगों के लिए मतभेद भुलाने को तैयार हैं, लेकिन राज को उन ताकतों से दूरी बनानी होगी जो महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करती हैं। यह बयान स्पष्ट रूप से बीजेपी और शिंदे गुट की ओर इशारा था, जिन्होंने 2022 में शिवसेना को तोड़ा और पार्टी का नाम व चुनाव चिह्न हासिल किया।

छोटी-मोटी गलतफहमियों को भुलाने को तैयार

गौरतलब है कि 19 अप्रैल को राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों ने अपने सार्वजनिक बयानों में एक-दूसरे के प्रति नरम रुख दिखाया था। फिल्मकार महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में बोलते हुए राज ने कहा था कि वे महाराष्ट्र के हित में “छोटी-मोटी गलतफहमियों” को भुलाने को तैयार हैं। उसी दिन उद्धव ठाकरे ने एक ट्रेड यूनियन कार्यक्रम में कहा था कि वे भी मराठी भाषा और लोगों के हित में पुराने मतभेद भुलाने को तैयार हैं, लेकिन उन्होंने यह शर्त भी जोड़ी कि राज ठाकरे को भाजपा और शिंदे गुट से दूरी बनानी होगी।

इसके बाद दोनों नेता विदेश यात्रा पर चले गए थे, और सुलह की कोशिशों पर अस्थायी विराम लग गया। हालांकि 26 अप्रैल को शिवसेना (UBT) के आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट आई- "वेल आलीये एकत्र येण्याची" (अब एक होने का समय आ गया है), जिसने एक बार फिर उम्मीदें जगा दीं। कुछ दिन बाद संजय राउत ने फिर दोहराया कि उद्धव ठाकरे की ओर से दरवाजे खुले हैं, अब राज ठाकरे को जवाब देना है।

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राज ठाकरे ने 2006 में बनाई थी अलग पार्टी

राज ठाकरे ने मार्च 2006 में बाल ठाकरे की शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई थी। पार्टी का फोकस शुरू से ही मराठी मानुष के मुद्दों पर रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से एमएनएस का राजनीतिक प्रभाव लगातार घट रहा है। नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 288 में से 135 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी और महज 1.55% वोट शेयर हासिल किया। 2019 में पार्टी ने केवल एक सीट जीती थी।

बीएमसी में भी घटा कद

बीएमसी चुनावों की बात करें तो 2017 में एमएनएस ने 227 में से 7 सीटें जीती थीं। उस समय उद्धव ठाकरे की शिवसेना और भाजपा गठबंधन में थे और 84 सीटों के साथ शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उद्धव और राज के रिश्तों में उतार-चढ़ाव रहा है। अतीत में कई बार दोनों की मुलाकातों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई है, लेकिन गठबंधन की बात अब तक ठोस नहीं हो पाई है। इस बार सियासी समीकरण और भी उलझे हुए हैं क्योंकि राज ठाकरे का भाजपा के साथ रुख समय-समय पर बदलता रहा है- कभी समर्थन तो कभी विरोध। अब देखना यह है कि क्या ठाकरे परिवार की दरार भरती है या यह भी बीते वर्षों की तरह एक अधूरा प्रयास बनकर रह जाएगा। लेकिन एक बात तय है- बीएमसी चुनाव से पहले ठाकरे बनाम ठाकरे की सियासी पटकथा एक बार फिर रोमांचक मोड़ पर पहुंच गई है।