सरकार का सपना तो टूटा ही, नेता प्रतिपक्ष का पद भी दूर; महायुति की सुनामी में उड़ा MVA
- भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मजबूत प्रदर्शन ने एमवीए को न केवल सरकार बनाने से रोका, बल्कि अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद भी खाली रहने की संभावना है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन की ऐतिहासिक जीत ने विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को गहरा झटका दिया है। भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मजबूत प्रदर्शन ने एमवीए को न केवल सरकार बनाने से रोका, बल्कि अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद भी खाली रहने की संभावना है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए अनिवार्य न्यूनतम 29 सीटों का आंकड़ा एमवीए के किसी भी घटक ने पार नहीं किया। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने 20 सीटों पर जीत हासिल की है। कांग्रेस ने 16 सीटें जीतीं और पांच पर बढ़त बनाई है, जबकि शरद पवार की एनसीपी (एसपी) ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की है।
महायुति की सुनामी में उड़ा एमवीए
महायुति गठबंधन ने विपक्ष को हाशिए पर धकेल दिया है। खबर लिखे जाने तक भाजपा ने 130 सीटों पर जीत हासिल की है और 2 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। शिवसेना (शिंदे गुट) ने 57 सीटें जीतीं। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की। इन नतीजों ने महायुति को विधानसभा में पूर्ण बहुमत दे दिया है।
क्या है नेता प्रतिपक्ष का गणित
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। नियमों के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष पद के लिए विपक्षी दल को कम से कम 10% यानी 29 सीटें चाहिए। एमवीए के तीनों घटकों में से कोई भी पार्टी इस आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई। भले ही तीनों दलों को मिलाकर 50 से ज्यादा सीटें मिली हैं, लेकिन व्यक्तिगत रूप से किसी के पास 29 सीटें नहीं हैं।
लोकसभा जैसा हाल
यह स्थिति 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों जैसी है, जब विपक्ष के पास 10% सांसद नहीं थे, और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद 10 साल तक खाली रहा। महाराष्ट्र में भी विपक्षी दल अब इसी संकट से जूझेंगे।