महायुति का सीट शेयरिंग फॉर्मूला तैयार? शिंदे-फडणवीस-पवार के मंथन में क्या निकला, महाराष्ट्र विस चुनाव के लिए हुई बैठक
विधानसभा चुनाव करीब आते ही महाराष्ट्र में सियासी हलचलें तेज हो चली हैं। सत्ताधारी महायुति गठबंधन के बड़े नेता भी पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, दोनों डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार समेत कई शीर्ष नेताओं ने नागपुर में बैठक की।
विधानसभा चुनाव करीब आते ही महाराष्ट्र में सियासी हलचलें तेज हो चली हैं। सत्ताधारी महायुति गठबंधन के बड़े नेता भी पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, दोनों डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार समेत कई शीर्ष नेताओं ने नागपुर में बैठक की। इस मैराथन मीटिंग में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सीट शेयरिंग पर चर्चा की गई। यह बैठक नागपुर में रामगिरी स्थित मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर शनिवार शाम करीब आठ बजे शुरू हुई। इसके बाद यह देर रात 1.30 बजे तक चलती रही। मामले की जानकारी रखने वालों के मुताबिक इस दौरान गहन मंथन के बाद तीनों सत्ताधारी दलों में सीट शेयरिंग के बेसिक फॉर्मूला तैयार कर लिया गया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने रविवार को कहा कि सीट शेयरिंग पर बातचीत अगले दस दिनों तक चलेगी। उन्होंने बताया कि हमने तय किया कि उम्मीदवारों के जीतने की संभावनाओं के आधार पर सीटें बांटी जाएंगी। वहीं, एक अंदरूनी सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भारतीय जनता पार्टी विधानसभा की 288 सीटों में से 160 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 60 से 70 सीटें मिल सकती हैं। इसके अलावा एनसीपी को 50 सीटें मिलने के चांसेज हैं। हालांकि अजीत पवार का दावा 60 सीटों के लिए है।
इसके अलावा कुछ सीटें छोटें सहयोगियों, जैसे बच्चू कादू की प्रहार जनशक्ति पार्टी को दी जा सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक महायुति गठबंधन के साथियों के बीच दो-तीन दौर की बात के बाद सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर आखिरी मुहर लग सकती है। गौरतलब है कि शनिवार को नागपुर में एक रैली के दौरान अजीत पवार ने 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की मंशा जताई थी। अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि हमने 2019 विधानसभा चुनाव में 54 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार हमें 60 सीटें मिलनी चाहिए।
हालांकि मुख्यमंत्री शिंदे और दोनों डिप्टी सीएम इस बात पर सहमत हैं कि वह सीटों के लिए बहुत ज्यादा बार्गेनिंग नहीं करेंगे। इसके बजाए वह एकजुट होकर अगला चुनाव जीतने पर ध्यान लगाएंगे। सूत्रों के मुताबिक तीनों शीर्ष नेता यह बात समझते हैं कि अगर उनकी एकता में दरार आई तो विपक्ष को फायदा मिल जाएगा। वह विपक्ष को कोई हथियार नहीं देना चाहते हैं और साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते हैं। अपनी एकजुटता दिखाने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं को निर्देश भी जारी किए गए हैं। उनसे कहा गया है कि ऐसी कोई भी टिप्पणी न करें, जिससे गठबंधन के साथियों को दुख पहुंचे। प्रदेश अध्यक्ष बावनकुले ने कहा कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
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