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राहुल गांधी ने फिर चला लोकसभा चुनाव वाला 'CCC' दांव, महाराष्ट्र में क्यों हलचल तेज

नागपुर पहुंचने पर गांधी सबसे पहले दीक्षाभूमि गए। दीक्षाभूमि वह ऐतिहासिक स्थल है, जहां संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया था। इसके बाद राहुल ने ओबीसी सम्मेलन में भाग लिया।

Pramod Praveen हिन्दुस्तान टाइम्स, प्रदीप कुमार मैत्रा, नागपुरWed, 6 Nov 2024 07:14 PM
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव वाला 'CCC' दांव चल दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को एक बार फिर जाति जनगणना  कराने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि आरक्षण पर 50 फीसदी की लगी सीमा को हटाया जाएगा। राहुल के इस ऐलान से कांग्रेस पार्टी को महाराष्ट्र चुनावों के लिए मुख्य मुद्दा मिल गया है। ओबीसी युवा अधिकार मंच द्वारा आयोजित 'संविधान सम्मान' सम्मेलन को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि जाति जनगणना न्याय और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है और वह उसे पूरा कराकर रहेंगे। राहुल ने कहा कि इस प्रक्रिया से दलितों, अन्य पिछड़ा वर्गों और आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय का पता चल सकेगा। राहुल के ‘CCC दांव’ से मतलब Caste Census, 50% Ceiling on Reservation और Constitution से है।

नागपुर में सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘‘जाति जनगणना से सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। हर किसी को पता चल जाएगा कि उनके पास कितनी ताकत है और उनकी भूमिका क्या है।’’ गांधी ने कहा, ‘‘हम 50 प्रतिशत (आरक्षण सीमा) की दीवार भी तोड़ देंगे।’’उन्होंने कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा तैयार किया गया संविधान सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के लोग संविधान पर ‘‘हमला’’ करते हैं, तो वे देश की आवाज पर हमला कर रहे होते हैं।

राहुल गांधी ने दावा किया, ‘‘अदाणी की कंपनी के प्रबंधन में आपको एक भी दलित, ओबीसी और आदिवासी नहीं मिलेगा।’’ केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘आप सिर्फ 25 लोगों का 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ करते हैं, लेकिन जब मैं किसानों की कर्ज माफी की बात करता हूं तो मुझ पर हमला किया जाता है।’’

नागपुर पहुंचने पर गांधी सबसे पहले दीक्षाभूमि गए। दीक्षाभूमि वह ऐतिहासिक स्थल है, जहां संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया था। इसके बाद राहुल ने ओबीसी सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा संविधान पर सामने से हमला नहीं कर सकते। इसलिए, वे असमानता के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए ‘विकास’, ‘प्रगति’, ‘देशभक्ति’ जैसे शब्दों की आड़ में छिपते हैं, जो बहुसंख्यक लोगों की कीमत पर कुछ व्यक्तियों को लाभ सुनिश्चित करता है।

पिछले कुछ महीनों से जाति जनगणना की वकालत करने वाले गांधी ने कहा, "जाति जनगणना सिर्फ़ नाम है। इसका असली मतलब न्याय है।" "जब मैं जाति जनगणना की बात करता हूं, तो मोदी जी कहते हैं कि मैं देश को बांट रहा हूं लेकिन मैं वंचित लोगों की कमजोर आवाज को ही बढ़ा रहा हूं। मैंने वो आवाज सुनी है जो कहती है कि 90% आबादी को देश के संसाधनों से कोई फ़ायदा नहीं मिलता। सिर्फ़ जाति जनगणना ही भारत की इस 90% वंचित आबादी को न्याय दिला सकती है।"

इस समारोह में लगभग 200 नागरिक समाज संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक निकायों के सदस्य शामिल हुए जो लोगों के बीच समान अधिकारों के लिए काम करते हैं। इसके अलावा कांग्रेस कार्यकर्ताओं और महाराष्ट्र के प्रमुख पार्टी नेताओं ने भी हिस्सा लिया। हालांकि यह सम्मेलन गैर-राजनीतिक और संविधान समर्थक था, जिसमें गांधी को छोड़कर कोई भी कांग्रेस नेता मंच पर नहीं बैठा था, लेकिन संविधान बचाने की आड़ में भाजपा-आरएसएस पर जोरदार हमला करने का उद्देश्य स्पष्ट था। राहुल ने कहा, “जब से मैंने जाति जनगणना की मांग उठाई है, तब से मोदी जी की रातों की नींद उड़ गई है।”

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उन्होंने कहा कि जब वे जाति जनगणना की वकालत करते हैं, तो प्रधानमंत्री उन पर "देश को बांटने" का आरोप लगाते हैं। जाति जनगणना को लेकर दिल्ली में बैठकें चल रही हैं। वे (भाजपा) इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि इसे कैसे किया जाए या नहीं किया जाए। गांधी ने कहा, "लेकिन मैं आपको बता दूं कि जाति जनगणना होगी और 50 प्रतिशत (आरक्षण पर) की सीमा भी खत्म होगी। संविधान की रक्षा के लिए यह हमारा पहला कदम होगा। जब आप डॉ. अंबेडकर के लेखन को पढ़ेंगे, तो आपको पता चलेगा कि उन्होंने केवल अपने संघर्षों के बारे में नहीं, बल्कि दूसरों के संघर्षों के बारे में बात की थी। अंबेडकर और गांधी दोनों ने अपने दर्द पर नहीं, बल्कि लोगों की पीड़ा पर ध्यान केंद्रित किया। संविधान का मसौदा तैयार करने का काम अंबेडकर को सौंपने के भारत के फैसले ने लाखों लोगों की आवाज़ और दर्द को इसके पन्नों में गूंजने की ज़रूरत को मूर्त रूप दिया।"

राहुल ने बीजेपी और आरएसएस पर जाति जनगणना के मुद्दे से बाहर निकलने का रास्ता खोजने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि वे इसका समर्थन करने के लिए अनिच्छुक हैं क्योंकि वे आबादी के शीर्ष 5% लोगों के बीच धन और शक्ति को केंद्रित करने के पक्ष में हैं। गांधी के अनुसार, बीजेपी और संघ परिवार इस यथास्थिति को बनाए रखने के लिए जाति जनगणना से बचते हैं। आरएसएस के वित्तीय संसाधनों के बारे में सवाल उठाते हुए, गांधी ने पूछा, "आरएसएस को अपनी व्यापक सुविधाओं को बनाए रखने और शिशु मंदिरों और एकलव्य विद्यालयों आदि जैसी संस्थाओं को चलाने के लिए पैसा कहाँ से मिलता है?" उन्होंने सुझाव दिया कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में भाजपा द्वारा संचालित सरकारों के साथ-साथ बिजनेस टाइकून अडानी और अंबानी से भी फंड आता है।

राहुल के इस बयान से महाराष्ट्र की सियासी बयार फिर से लोकसभा चुनावों के मोड में पहुंच गई है। बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान भी राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बार-बार संविधान पर हमले की बात उठाई और जाति गणना कराने समेत आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा करने की बात कही थी। इसका असर चुनाव नतीजों पर भी दिखा था। राज्य की 48 संसदीय सीटों में से इंडिया गठबंधन को कुल 30 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि एनडीए गठबंधन 17 सीटों पर सिमट गई थी। एक सीट निर्दलीय ने जीती थी। एनडीए को कुल 23 सीटों का नुकसान हुआ था। लिहाजा कांग्रेस फिर से वही दांव चलकर राज्य विधानसभा चुनावों में लीड लेना चाहती है।

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