महाराष्ट्र में क्या था प्लान 80, जिससे भाजपा ने रच दिया इतिहास; दो नेताओं की अहम भूमिका
- पार्टी सूत्रों ने कहा कि पहले तो यह चेक किया गया कि हम किन सीटों पर आसानी से जीत सकते हैं। इस दौरान ऐसी 69 सीटें पाई गईं, जहां जीत आसान थी। फिर यह देखा गया कि कौन सी ऐसी सीटें रही हैं, जहां 3 या 4 फीसदी वोट के अंतर से ही हार या जीत मिली थी।
भाजपा ने महाराष्ट्र में 148 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़कर 132 पर जीत हासिल की और लगभग 90 फीसदी के स्ट्राइक रेट के साथ इतिहास रच दिया। महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा को कभी इतनी सीटें नहीं मिल पाई थीं। यही कारण है कि अब भाजपा अपना ही सीएम देना चाहती है और उससे किसी भी तरह का समझौता उसे स्वीकार नहीं है। यहां तक कि उसके तेवर देखते हुए एकनाथ शिंदे ने पहले ही कह दिया है कि उन्हें भाजपा के सीएम से कोई परेशानी नहीं है। पर नतीजों के एक सप्ताह बाद भी लोगों के जेहन में यह सवाल है कि आखिर लोकसभा चुनाव में हारी भाजपा ने कैसे 6 महीने में पूरा गेम पलट दिया।
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि इन 6 महीनों में भाजपा ने संविधान और आरक्षण वाले नैरेटिव की काट के लिए काफी कदम उठाए। संसद में पीएम मोदी पहुंचे तो संविधान को नमन किया। इसके अलावा आरक्षण को बरकरार और मजबूत रखे जाने के वादे किए गए। इससे विपक्षी नैरेटिव की काट हुई, जिसने लोकसभा चुनाव में प्रचार किया था कि भाजपा इसलिए 400 सीट मांग रही है ताकि संविधान को बदला जा सके और आरक्षण खत्म हो जाए। इस नैरेटिव को 6 महीने में भाजपा नेतृत्व ने खत्म करने की बहुत सी कोशिशें कीं। इसके अलावा जमीनी स्तर पर भी पार्टी ने सघन प्रचार किया। इसके लिए उन 80 सीटों पर खास प्लान बनाया गया, जहां जीत और हार का अंतर बहुत कम था।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि पहले तो यह चेक किया गया कि हम किन सीटों पर आसानी से जीत सकते हैं। इस दौरान ऐसी 69 सीटें पाई गईं, जहां जीत आसान थी। फिर यह देखा गया कि कौन सी ऐसी सीटें रही हैं, जहां 3 या 4 फीसदी वोट के अंतर से ही हार या जीत मिली थी। इस कवायद में 80 सीटें तय की गईं और इनमें से 31 तो विदर्भ की ही थीं, जिसे भाजपा का गढ़ माना जाता है। फिर काम शुरू और बूथ लेवल तक मैनेजमेंट की कोशिशें हुईं। ऐसा इसलिए ताकि ओबीसी, एससी, एसटी वोटरों तक पहुंचा जा सके। पन्ना और बूथ प्रमुख की भूमिका को विस्तार दिया गया। इस तरह इन 80 सीटों को भाजपा ने मजबूती से अपने पाले में लाने के प्रयास शुरू किए।
पार्टी के रणनीतिकारों ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा लग रहा था कि भाजपा 60 या 70 सीटें ही जीत पाएगी। फिर जब मेहनत शुरू हुई और नीचे तक कनेक्ट हुआ तो यह जानकारी मिलने लगी कि हम करीब 125 सीटों पर मजबूत हैं। एक नेता ने कहा कि इस दौरान ओबीसी वोटरों पर खास फोकस किया गया। इसी के तहत पंकजा मुंडे की सक्रियता को बढ़ाया गया। उन्हें अलग से एक हेलिकॉप्टर मिला। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ इलाकों से इनपुट मिला था कि पंकजा मुंडे ओबीसी नेता हैं और उन्हें प्रचार में लगाने से फायदा मिल सकता है।