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शायद पुराने साथियों का असर है, हम समझाएंगे; देवेंद्र फडणवीस का अजित पवार पर तंज

  • फडणवीस ने कहा कि भारत का इतिहास ही रहा है कि जब हम बंटे हैं तो नुकसान हुआ है और दूसरे लोगों ने हमें गुलाम बना लिया। यही नहीं अजित पवार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने साफ कह दिया कि वह दूसरी विचारधारा से आए हैं और शायद अब भी उन पर पुराने साथियों का असर बना हुआ है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईFri, 15 Nov 2024 01:32 PM
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यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के नारे बंटेंगे तो कटेंगे पर महाराष्ट्र में महायुति ही बंटती दिख रही है। इस नारे पर अजित पवार ने सवाल उठाया था और कहा था कि यह यूपी-बिहार नहीं है और यहां तक इस तरह की राजनीति नहीं चल सकती। इस पर अब उनके ही सहयोगी देवेंद्र फडणवीस ने जवाब दिया है। एक चैनल से बातचीत में फडणवीस ने कहा कि यह नारा कहीं से भी गलत नहीं है। भारत का इतिहास ही रहा है कि जब हम बंटे हैं तो नुकसान हुआ है और दूसरे लोगों ने हमें गुलाम बना लिया। यही नहीं अजित पवार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने साफ कह दिया कि वह दूसरी विचारधारा से आए हैं और शायद अब भी उन पर पुराने साथियों का असर बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि टाइम लगता है और हम उन्हें अपनी बात समझा देंगे। ऐसा ही उन्होंने भाजपा में शामिल होकर राज्यसभा सांसद बने अशोक चव्हाण के लिए भी कहा। अशोक चव्हाण कांग्रेस के सीनियर नेता रहे हैं और मुख्यमंत्री भी चुने गए थे। दरअसल महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार अब इस नारे के आसपास ही घूम रहा है। इसे तब और धार मिली, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने अलग तरीके से ही सही, लेकिन इसी बात को आगे बढ़ाया। उन्होंने एक रैली में नारा दिया था कि एक हैं तो सेफ हैं। ऐसे में इस पर बहस ही तेज हो गई। इस पर राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे समेत कई नेताओं ने सवाल उठाए थे।

लेकिन उस वक्त महायुति में ही बहस तेज हो गई, जब अजित पवार और अशोक चव्हाण ने सवाल उठाए। यही नहीं पंकजा मुंडे ने भी इस नारे को लेकर कहा कि मैं इससे सहमत नहीं हूं और मेरी राजनीति अलग है। पंकजा का ऐसा कहना अहम था क्योकिं वह वैचारिक तौर पर भाजपा की पुरानी मेंबर है और उनके पिता गोपीनाथ मुंडे पार्टी के बड़े लीडर थे। देवेंद्र फडणवीस ने अपनी टिप्पणी में पंकजा मुंडे का नाम नहीं लिया, लेकिन अजित पवार और चव्हाण का तो खुलकर नाम लिया। उन्होंने कहा कि शायद वे लोग अब भी अपने पुराने साथियों से प्रभावित हैं और इसके चलते बीच-बीच में उनकी विचारधारा हावी हो जाती है।

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