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एक लोकसभा सीट का उपचुनाव भी भाजपा बना रही हाईप्रोफाइल, पूर्व CM को ही उतारने की तैयारी

  • पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही भाजपा में आए थे और उन्हें राज्यसभा भेजा गया था। नांदेड़ को उनका गढ़ माना जाता है। यहां उनके अपने निजी प्रभाव और पार्टी के बड़े वोटबैंक के जरिए भाजपा को जीत की उम्मीद है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईFri, 18 Oct 2024 03:56 PM
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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के साथ ही नांदेड़ लोकसभा का उपचुनाव भी होना है। इस एकमात्र सीट के उपचुनाव को भी भाजपा हल्के में नहीं लेना चाहती और मजबूत कैंडिडेट उतारने की तैयारी है। महाराष्ट्र भाजपा के सूत्रों का कहना है कि यहां से पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण को भी उतारा जा सकता है। उनके नाम पर पार्टी में गंभीरता से विचार चल रहा है। वह कुछ महीने पहले ही भाजपा में आए थे और उन्हें राज्यसभा भेजा गया था। नांदेड़ को उनका गढ़ माना जाता है। यहां उनके अपने निजी प्रभाव और पार्टी के बड़े वोटबैंक के जरिए भाजपा को जीत की उम्मीद है।

इसलिए चर्चा है कि अशोक चव्हाण को ही उतारा जा सकता है। यदि वह जीते तो फिर राज्यसभा में सूबे से किसी और नेता को भेजा सकता है। कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व सांसद वसंत चव्हाण के बेटे रवींद्र चव्हाण को अपना कैंडिडेट घोषित किया है। भाजपा को लगता है कि कांग्रेस रवींद्र चव्हाण को उतारकर वसंत राव के निधन से मिलने वाली सहानुभूति का लाभ पा सकती है। ऐसे में भाजपा इस सीट पर टफ फाइट के मूड में आ गई है। यही वजह है कि पूर्व सीएम को ही उतारने का प्लान बन रहा है। अशोक चव्हाण के अलावा पूर्व सांसद प्रताप पाटिल चिखलिकर का नाम भी चर्चा में है।

फिलहाल सभी की नजर भाजपा के कैंडिडेट पर ही है कि आखिर किसे मौका मिलता है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही अशोक चव्हाण ने कांग्रेस छोड़ दी थी और भाजपा में आ गए थे। उनके साथ कई समर्थक भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आ गए थे। हालांकि इसके बाद भी नांदेड़ सीट पर पार्टी को फायदा नहीं मिला। यहां चुनाव में कांग्रेस के वसंतराव चव्हाण ने 60 हजार से ज्यादा वोटों से भाजपा के प्रताप पाटिल चिखलिकर को हरा दिया था। इसीलिए भाजपा को अब लगता है कि अशोक चव्हाण को उतारा जाए।

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निजी तौर पर उन्हें उतारने से भाजपा और उनके समर्थक ऐक्टिव हो सकते हैं। इससे दोहरी ताकत मिलेगी। लेकिन उनके ना लड़ने पर समर्थकों के ऐक्टिव होने की संभावना कम रहती है। यह सीट कांग्रेस के सांसद चुने गए वसंत राव चव्हाण के निधन से खाली हुई है। ऐसे में सहानुभूति का फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। लेकिन अशोक चव्हाण के जरिए भाजपा तगड़े मुकाबले की तैयारी में है।

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