औघड़नाथ मंदिर और इसके पास का कुआं क्यों है खास, पीएम मोदी भी कर चुके हैं यहां विजिट
- औघड़नाथ मंदिर को काली पलटन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये मेरठ के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। आइए, जानते हैं इस मंदिर से जुड़े कुछ फैक्ट्स के बारे में।
भारत में कई फेमस मंंदिर हैं। कुछ ऐसे हैं जिनका इतिहास सदियों पुराना है। मेरठ का औघड़नाथ मंदिर भी सालों पुराना है और इसका इतिहास भी काफी पुराना है। ये एक दिलचस्प जगह है जिसका न केवल धार्मिक महत्व है बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ये मंदिर इतना खास है कि यहां पीएम मोदी भी दर्शन के लिए आ चुके हैं। आइए, जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ बातें।
क्यों खास है ये मंदिर?
औघड़नाथ मंदिर वह जगह है जहां 1857 में भारत की स्वतंत्रता का महान विद्रोह शुरू हुआ था। कहते हैं कि इस मंदिर में मराठा शासक शुभ अवसरों पर तीर्थयात्रा करते थे, जिससे यह शहर में एक जरूरी पूजा स्थल बन गया। मंदिर के अंदर एक स्मारक भी शामिल है जो 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की याद में बनाया गया है।
इस जगह पर शिव मंदिर और श्री कृष्ण मंदिर है। यहां के श्री कृष्ण मंदिर को औघड़नाथ मंदिर में हाल ही में जोड़ा गया है। 1944 तक मंदिर का एक बड़ा परिसर था जिसमें कई छोटे मंदिर और पास में एक कुआं था। बाद में साल 1968 में पुराने परिसर को ध्वस्त कर नए तरीके से मंदिर को बनाया गया था।
कुएं पर अब बन गया स्मारक
कहते हैं कि अंग्रेजों की एक पलटन थी, जिसे काली पलटन कहते थे। इस पलटन में भारतीय सैनिकों की संख्या भी काफी ज्यादा थी। इन सभी सैनिकों को औघड़नाथ मंदिर के साधु कुएं से पानी पिलाते थे, लेकिन एक दिन एक साधु ने भारतीय सैनिकों को कुएं का पानी देने से मना कर दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि सैनिक कारतूस को मुंह से खोलते थे, जिसे जानवर की चर्बी से बनाया जाता था। जब ये बात पूरी पलटन में फैली की अंग्रेज कारतूस में जानवर की चर्बी का इस्तेमाल करते हैं तभी से सैनिकों ने अंग्रेजों की इस नीति के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया था। जिस कुएं का पानी सैनिक तब पिया करते थे आज उसके ऊप स्मारक बना दिया गया है।
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