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RIMS में डॉक्टर्स की हड़ताल का सात हजार मरीजों पर असर, 200 ऑपरेशन टले; केवल इन्हें मिल रहा इलाज

रिम्स अस्पताल में डॉक्टर्स की हड़ताल से मरीजों का बुरा हाल है। करीब सात हजार से अधिक मरीज सिर्फ रिम्स में परामर्श से वंचित हो गए हैं। अब तक कुल दो सौ से अधिक मरीजों का तय ऑपरेशन नहीं हो सका है। रविवार तक इलाज पूरी तरह से प्रभावित रहेगा।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान, रांचीSat, 17 Aug 2024 04:31 AM
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रांची के रिम्स अस्पताल में मंगलवार से शुरू हड़ताल शुक्रवार को भी जारी रही। इससे अब तक करीब सात हजार से अधिक मरीज सिर्फ रिम्स में परामर्श से वंचित हो गए हैं। अब तक कुल दो सौ से अधिक मरीजों का तय ऑपरेशन नहीं हो सका है। बता दें कि शनिवार को भी राज्यव्यापी हड़ताल रहेगी और रविवार को चिकित्सकों की छुट्टी के कारण ओपीडी और ऑपरेशन नहीं होंगे। ऐसे में रविवार तक इलाज पूरी तरह से प्रभावित रहेगा।

हालांकि, इमरजेंसी में गंभीर मरीजों को इलाज की सुविधा मिल रही है। साथ ही माइनर ओटी में ऑपरेशन भी किए जा रहे हैं। गुरुवार को हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टर रिम्स के ट्रामा सेंटर एवं इमरजेंसी परिसर में धरना पर बैठे रहे। साथ ही वहां आने वाले मरीजों के साथ कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना की जानकारी नुक्कड़ सहित अन्य माध्यमों से देते रहे। जूनियर चिकित्सकों ने सुबह और शाम में भी नुक्कड़ का आयोजन किया।

ओपीडी में इंतजार करते रहे मरीज, इंडोर में जमे रहे डॉक्टर

हड़ताल के कारण समान्य दिनों के मुकाबले दूर-दराज के मरीजों की संख्या लगभग नहीं के बराबर थी। कुछ मरीज गढ़वा, पलामू, लातेहार समेत विभिन्न इलाकों से पहुंचे थे। दोपहर एक बजे तक मरीज इस इंतजार में ही बैठे थे कि दूसरी पाली में शायद चिकित्सक ओपीडी में परामर्श मुहैया कराएंगे। शुक्रवार को भी चिकित्सक सुबह ओपीडी पहुंचे थे पर जूनियर चिकित्सकों ने ओपीडी सेवा फिर बंद करा दी। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए अधिकतर सीनियर डॉक्टर रिम्स के इंडोर में मरीजों के लिए डटे रहे। दोनों पालियों में चिकित्सक इंडोर में मौजूद रहे। कुछ सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स भी चिकित्सकों के साथ मौजूद रहे, ताकि भर्ती मरीजों को किसी तरह की परेशानी होने पर वो उनका तत्काल इलाज कर सकें। इसके अलावा नर्सें भी पूरी तत्परता से मरीजों के देखभाल में लगी रहीं। हालांकि, भर्ती मरीजों की संख्या भी आम दिनों की तुलना में कम हो गई है।

जेडीए की प्रमुख मांगें

● डॉक्टरों के हमले में शामिल सभी व्यक्तियों की तत्काल गिरफ्तारी

● केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए लिखित आश्वासन

● सभी अस्पतालों को सुरक्षा क्षेत्र घोषित करने की मांग

● आपातकालिन कर्तव्यों में काम करने वाले चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना

● झारखंड में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना

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