सीयूजे बना एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का फील्ड स्टेशन
केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड (सीयूजे) और एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएनएसआई) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत सीयूजे को एएनएसआई का फील्ड स्टेशन बनाया गया है, जिससे...

रांची, विशेष संवाददाता। केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड (सीयूजे) और एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएनएसआई), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के बीच रविवार को समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें सीयूजे को एएनएसआई का फील्ड स्टेशन बनाया गया है। समझौते के दस्तावेज पर सीयूजे में दोनों पक्षों के उच्च अधिकारियों के समक्ष हरताक्षर किए। इस समझौते के तहत सीयूजे को एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के फील्ड स्टेशन के तौर मान्यता दी गई है। विद्यार्थी एएनएसआई के संस्थानों में इंटर्नशिप कर सकेंगे
सीयूजे के कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास ने कहा कि यह समझौता विश्वविद्यालय के लिए काफी लाभकारी होगा। इससे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को मानव विज्ञान के क्षेत्र में उच्च प्रशिक्षण मिलेगा और अंतर्विषयक शोध को बढ़ावा मिलेगा। इसके तहत सीयूजे को झारखंड में फील्ड स्टेशन के तौर पर स्थापित किया गया है। एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कोलकाता के निदेशक प्रो बीवी शर्मा ने इस समझौते के तहत सीयूजे को मिलनेवाले सहयोग से सबको अवगत कराया। उन्होंने बताया कि इस समझौते के अनुसार सीयूजे के विद्यार्थी एएनएसआई के संस्थानों में इंटर्नशिप कर सकते हैं। यह समझौता एनईपी-2020 की सारी जरूरतों को पूरा करता है। विद्यार्थी द्वितीय सेमेस्टर के बाद कभी भी इंटर्नशिप कर सकते हैं।
एएनएसआई इस क्षेत्र से संबंधित सीयूजे के प्रोजेक्ट को भी वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। सीयूजे के विद्यार्थी और शिक्षक एएनएसआई के हर प्रकार के संसाधनों- किताबें, लाइब्रेरी, उच्च तकनीकी प्रयोगशाला, वैज्ञानिक और तकनीकी स्टाफ, का उपयोग कर सकते हैं। साथ ही, एएनएसआई के भाषाविद, लोककला विशेषज्ञों से शैक्षिक सहयोग भी प्राप्त होगा।
इसके अलावा एएनएसआई का स्टेट ऑफ आर्ट, जैविक प्रयोगशाला जिसमें मानव जीनोम सीक्वेंसिंग, डीएनए एक्ट्रेक्टिंग भी किया जाता है, का उपयोग सीयूजे के शिक्षक और शोधार्थी कर सकते हैं, जिससे अंतर्विषयक शोध को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही दोनों पक्ष मिलकर सारे अकादमिक कार्य- कार्यशाला, संगोष्ठी, अधिवेशन का संयुक्त आयोजन भी करेंगे। इस समझौते के तहत संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार से जुड़े सारे संस्थानों के साथ मिलकर भी कार्य करने की सहूलियत होगी। एएनएसआई के जितने भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के समझौते हैं, उन सबका लाभ सीयूजे को भी एएनएसआई के सहयोगी के तौर पर मिलेगा।
मौके पर सीयूजे के रजिस्ट्रार के कोसल राव, डीन शोध एवं विकास प्रो अरुण कुमार पाढ़ी, डीन अकादमिक प्रो मनोज कुमार, वित्त अधिकारी पीके पांडा, प्रो सुचेता सेन चौधरी, प्रो रवींद्र नाथ, डॉ रजनीकांत पांडेय, डॉ शमशेर आलम, डॉ सुदर्शन यादव, एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वरीय वैज्ञानिक डॉ उमेश कुमार, राज किशोर महतो, सुदीप्त कुमार बेहरा आदि उपस्थित थे।
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