हेमंत सोरेन के पक्ष में काम कर गया सिम्पैथी फैक्टर, वो दांव जिनसे JMM का परचम
jharkhand election results 2024: झारखंड से मिले रूझानों में JMM की अगुवाई वाला गठबंधन जीत की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। इस रिपोर्ट में उन फैक्टर्स का जिक्र जिनके बलबूते JMM ने लहराया परचम...
झारखंड विधानसभा चुनावों को लेकर जारी मतगणना के बीच मिले रूझानों में JMM की अगुवाई वाला गठबंधन जीत की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। अकेले झारखंड मुक्ति मोर्चा 31 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं भाजपा के खाते में 26 सीटें जाती नजर आ रही हैं। इन रूझानों से झारखंड में एक बार फिर हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली INDIA गठबंधन की सरकार बनने की उम्मीदें हैं। यदि हेमंत सोरेन झारखंड में दोबारा सरकार बना लेते हैं तो उनका सियासी रुतबा बढ़ जाएगा। इस रिपोर्ट में उन फैक्टर्स का जिक्र जिनके बलबूते JMM ने लहराया परचम...
1- मंईयां सम्मान योजना रही कारगर
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 43 सीटों पर हुए मतदान में महिला मतदाताओं ने बढ़चढ़ कर वोट किए थे। माना जा रहा है कि महिलाओं को सालाना 12,000 रुपये देने वाली मैया योजना एक असाधारण योजना के रूप में सामने आई है। मंईयां सम्मान योजना और सर्वजन पेंशन योजना महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़ाने में मददगार साबित हुआ। मंईयां योजना के तहत सूबे 51 लाख से ज्यादा महिलाओं को सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जा रही है।
2- महिला केंद्रित योजनाओं का व्यापक असर
झारखंड में महिला-केंद्रित कल्याणकारी योजनाओं का व्यापक प्रभाव देखने को मिला। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मुफ्त साइकिल, अकेली माताओं के लिए नकद आर्थिक सहायता और बेरोजगार महिलाओं के लिए मासिक वजीफा जैसी पहल की। माना जा रहा है कि इसने आदिवासी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को जेएमएम के पाले में लाने का काम किया।
3- काम कर गया सिम्पैथी फैक्टर
इस चुनाव में प्रचार के दौरान हेमंत सोरेन लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर रहे। उन्होंने केंद्र सरकार पर खुद को जेल में गलत तरीके से डालने और सूबे के चर्चित आदिवासी चेहरे को कुचलने का आरोप लगाया। विश्लेषकों की मानें तो हेमंत सोरेन लगातार आदिवासी हितों की बात करते रहे और खुद को जेल में डाले जाने को लेकर आदिवासी मतदाताओं की सिम्पैथी हासिल करने की कोशिश करते रहे।
4- आदिवासी वोटर्स ने भी जताया यकीन
झारखंड में कई विधानसभा सीटों पर आदिवासी मतदाताओं की संख्या 40 फीसदी से भी ज्यादा है। रूझान बताते हैं कि आदिवासियों ने एक बार फिर हेमंत सोरेन पर विश्वास जताया है। कई आदिवासी बहुल सीटों पर जेएमएम और उसकी अगुवाई वाले गठबंधन को बढ़त मिली है।
5- आदिवासी कार्ड के सामने फीका पड़ा 'बंटोगे तो कटोगे' का नारा
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आक्रामक अभियान के बाद राज्य में अपनी संभावनाओं को लेकर आश्वस्त दिख रहे भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का प्रदर्शन उम्मीदों से भी खराब रहा। भाजपा का चुनावी नारा संथा परगना क्षेत्र से 'घुसपैठियों' को बाहर निकालना था, लेकिन रूझानों को देखकर ऐसा लगता है कि यह जेएमएम द्वारा खेले गए 'आदिवासी' कार्ड के सामने यह फीका पड़ गया।
6- कल्पना ने JMM को दी संजीवनी
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इन चुनावों में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण रही है। पति हेमंत की गिरफ्तारी के बाद कल्पना ने झामुमो को ना केवल संभाला वरन उसे पुनर्जीवित करने का भी काम किया। वह लगातार पति के साथ कदम से कदम मिला संघर्ष करती नजर आईं।