सरकार द्वारा दर्ज कराया गया मामला हुआ खारिज
देवघर के बहुचर्चित 52 बीघा संपत्ति मामले में सिविल जज(सीनियर डिविजन द्वितीय) कुमारी जीव की अदालत ने झारखंड सरकार की दायर वाद को खारिज कर दिया। इस फैसले से जमीन मालिकों और सैकड़ों खरीदारों को राहत मिली...
देवघर। देवघर के बहुचर्चित 52 बीघा संपत्ति से जुड़े दीवानी मामले का फैसला सिविल जज(सीनियर डिविजन द्वितीय) कुमारी जीव की अदालत ने सुनाया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार "झारखंड सरकार- बनाम- निति भट्टाचार्य और अन्य 456 प्रतिवादीगण" के बहुचर्चित दीवानी मामले के इस फैसले में न्यायालय ने झारखंड सरकार द्वारा दाखिल कराए गए इस दीवानी वाद को खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है कि सिविल वाद संख्या 59/ 2009 में तत्कालीन उपायुक्त देवघर के माध्यम से झारखंड सरकार ने यह वाद दाखिल कर सम्पूर्ण बावन बीघा की संम्पत्ति को इसके पूर्व मालिक बोधिसत्व भट्टाचार्या द्वारा बावनबीघा स्थित शिवालय को ट्रस्ट किये जाने का दावा करते हुए इस भूखंड को झारखंड सरकार की सम्पत्ति घोषित करने के अनुतोष के लिए दायर किया है। दूसरी ओर निति भट्टाचार्य के पूर्वज एवं उनके अन्य हिस्सेदारों जयदेव भट्टाचार्य, रुंकी भट्टाचार्य, देवांशु भट्टाचार्य, मीरा भट्टाचार्य, राजेश भट्टाचार्य व रोजी भट्टाचार्य इत्यादि का दावा था कि यह संम्पत्ति उनकी निजी संपत्ति है और लगभग 456 व्यक्तियों को जमीन का अंश बेचा जा चुका है, जिसपर सैंकड़ों आवासीय मकान भी बन चुके हैं। सरकार की ओर से पहले पूर्व सरकारी अधिवक्ता बालेश्वर प्रसाद सिंह और बाद में वर्तमान सरकारी अधिवक्ता धनंजय मंडल ने मामले का संचालन किया था, जबकि प्रतिवादी प्रथम पक्ष की ओर से रंजीत कुमार अम्बष्ट व परेश चन्द्र राय ने बहस की, इनके अलावा महेश्वर प्रसाद चौधरी , अशोक राय और स्वर्गीय केशव चंद्र तिवारी की भी मामले के संचालन में भूमिका रही।यह मामला दिनांक 23/5/2009 को तत्कालीन उपायुक्त मस्तराम मीणा द्वारा सेल डीड व म्यूटेशन कैंसिल करने को लेकर दर्ज कराया गया था।मामला रोहिणी माप से सात बीघा दस कट्ठा जमीन से संबंधित है। इस दीवानी वाद के खारिज हो जाने से जमीन मालिकों एवं सैकड़ों की संख्या में मामले से जुड़े जमीन के क्रेताओं ने राहत की सांस ली है।
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