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क्या है टीका लाल टपलू स्कीम, ऐसे होगी कश्मीरी हिंदुओं की वापसी? भाजपा का चुनावी दांव समझिए

  • टपलू कश्मीरी पंडितों के सबसे बड़े नेता, पेशे से वकील और घाटी के शुरुआती भाजपा नेताओं में से एक थे। 1989 में आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, श्रीनगरSat, 14 Sep 2024 05:09 PM
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Tika Lal Taploo scheme: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े पहले कश्मीरी पंडित टीका लाल टपलू को याद किया, जिनकी आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में मेगा रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "हमने टीका लाल टपलू के सम्मान में एक योजना शुरू करने का फैसला किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कश्मीरी पंडितों को उनके अधिकार तेजी से मिलें।"

कौन थे टीका लाल टपलू?

टीका लाल टपलू (Tika Lal Taploo) का नाम कश्मीरी हिंदुओं के इतिहास में एक प्रमुख स्थान रखता है। टपलू कश्मीरी पंडितों के सबसे बड़े नेता, पेशे से वकील और घाटी के शुरुआती भाजपा नेताओं में से एक थे, जिनकी हत्या यासीन मलिक के जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के आतंकवादियों द्वारा उग्रवाद के अशांत वर्षों के दौरान की गई थी। टपलू का जन्म श्रीनगर में हुआ था, उन्होंने पंजाब और उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त की, लेकिन वे अपने मूल स्थान यानी जम्मू और कश्मीर में काम करने के लिए वापस आ गए थे।

वह एक प्रखर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) नेता और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य थे। उन्होंने कश्मीर में भाजपा की विचारधारा का प्रसार किया। 1989 में आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी। उनकी हत्या के बाद से ही कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हुआ। टपलू की हत्या कश्मीर घाटी में उन कश्मीरी हिंदुओं के लिए एक चेतावनी के रूप में मानी गई थी जो आतंकवादियों के खिलाफ मुखर थे। हालांकि टपलू की हत्या ने कश्मीरी हिंदुओं को जागरूक किया और उन्हें संगठित किया, जो कश्मीर से विस्थापित होने वाले हिंदुओं के अधिकारों के लिए आज भी लड़ाई लड़ रहे हैं।

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टीका लाल टपलू योजना क्या है?

टीका लाल टपलू योजना कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास और घाटी में उनकी सुरक्षित वापसी के लिए शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना है। ‘टीका लाल टपलू विस्थापित समाज पुनर्वास योजना’ विस्थापित कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास और जम्मू-कश्मीर के सभी विस्थापित व्यक्तियों के लिए लाभ सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। केंद्र की मोदी सरकार का कहना है कि वह इस योजना के तहत कश्मीरी पंडितों को घाटी में वापस लाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठा रही है। इसके तहत उन्हें पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता, मकान, नौकरियों में आरक्षण, और सुरक्षा के प्रबंध मुहैया कराने की बात कही गई है।

आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के ‘संकल्प पत्र’ (घोषणापत्र) में भी टीका लाल टपलू विस्थापित समाज पुनर्वास योजना (TLTVSPY) के माध्यम से कश्मीरी पंडितों की ‘घर वापसी’ का वादा किया गया है। इसके अलावा, घोषणापत्र में कई वादे शामिल हैं, जिनमें घाटी से आतंकवाद का सफाया, हिंदू मंदिरों और तीर्थस्थलों का पुनर्निर्माण, और सरकार के लिए काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों को नियमित करना आदि। लेकिन सबसे खास बात यह है कि पार्टी ने अपने मूल वोट बैंक - कश्मीरी पंडितों - को संबोधित करते हुए सरकार बनने पर टीका लाल टपलू के नाम पर योजना के माध्यम से उनके लिए 'घर वापसी' का वादा कर रही है।

गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 6 सितंबर को जारी किए गए घोषणापत्र में, भाजपा ने कहा: “इस पहल में विस्थापित कश्मीरी पंडितों के अधिकारों की रक्षा, सुरक्षा और बचाव के लिए उनके प्रतिनिधियों और विस्थापित समुदाय के कल्याण बोर्ड से इनपुट शामिल किए जाएंगे।”

कश्मीरी हिंदुओं की वापसी कैसे होगी?

कश्मीरी हिंदुओं की वापसी एक जटिल मुद्दा है क्योंकि इसे सिर्फ भौतिक पुनर्वास तक सीमित नहीं किया जा सकता। कश्मीरी हिंदुओं की वापसी का मुख्य आधार उनके सुरक्षा, सांस्कृतिक और सामाजिक अधिकारों की रक्षा है।

सरकार की रणनीति में शामिल प्रमुख बिंदु:

सुरक्षा और संरक्षण: घाटी में विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती और कश्मीरी हिंदुओं के लिए सुरक्षित कॉलोनियों का निर्माण।

नौकरी और आर्थिक अवसर: घाटी में नौकरियों के लिए विशेष आरक्षण और आर्थिक पैकेज की पेशकश।

सांस्कृतिक संरक्षण: कश्मीरी पंडितों की संस्कृति और धर्म से जुड़े स्थलों की मरम्मत और पुनर्निर्माण।

भाजपा की 2024 जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव रणनीति

भाजपा का 2024 का जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का अभियान मुख्य रूप से कश्मीरी हिंदुओं की वापसी, विकास और सुरक्षा पर केंद्रित है।

राष्ट्रीय एकता का मुद्दा: भाजपा अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्त होने को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। यह इस बात पर जोर दे रही है कि इन अनुच्छेदों के हटने से जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों की तरह समान अधिकार मिले हैं।

विकास की बात: भाजपा इस चुनाव में विकास के एजेंडे को भी केंद्र में रख रही है, जिसमें घाटी में बुनियादी ढांचे का विकास, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार शामिल हैं।

आतंकवाद के खिलाफ सख्ती: भाजपा घाटी में आतंकवाद पर लगाम लगाने और सुरक्षा बलों की सफलता को अपने चुनाव प्रचार में जोर-शोर से उठा रही है। साथ ही, उन नीतियों को बढ़ावा दे रही है, जो सीमा पार से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए बनाई गई हैं।

कश्मीरी युवाओं का समर्थन: घाटी में बेरोजगारी और शिक्षा की कमी से जूझ रहे युवाओं के लिए रोजगार और शिक्षा में सुधार की योजनाएं भाजपा के चुनाव प्रचार का एक और प्रमुख हिस्सा हैं।

आवामी जुड़ाव: भाजपा स्थानीय नेताओं और समुदायों के बीच अपने संबंधों को मजबूत कर रही है, ताकि वह जमीनी स्तर पर लोगों की समस्याओं को समझकर उनके समाधान प्रस्तुत कर सके। पंचायत स्तर पर प्रतिनिधियों को सशक्त बनाने के लिए सरकार की योजनाएं इस दिशा में एक कदम हैं।

टीका लाल टपलू की विरासत कश्मीरी हिंदुओं के अधिकारों और वापसी के संघर्ष का प्रतीक है, और भाजपा इस विचारधारा को आगामी विधानसभा चुनावों में केंद्र में रख रही है। कश्मीरी पंडितों की वापसी को लेकर योजनाएं, विकास का मुद्दा और आतंकवाद पर सख्त नीति भाजपा की चुनावी रणनीति का मुख्य हिस्सा हैं। अब देखना यह होगा कि यह रणनीति जनता के बीच कितनी प्रभावी साबित होती है और चुनावों के परिणाम क्या होंगे।

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