Hindi Newsजम्मू और कश्मीर न्यूज़ABVP accuses Jammu Kashmir Omar Abdullah government of ignoring Hindi Sanskrit in recruitment

अभी-अभी तो आए हैं और हिन्दी-संस्कृत से बैर शुरू, सड़कों पर उतरे छात्र; उमर सरकार के खिलाफ बवाल

छात्रों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार पर जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग द्वारा हाल ही में 10+2 लेक्चरर पदों के लिए जारी की गई भर्ती अधिसूचना में हिंदी और संस्कृत को दरकिनार करने का आरोप लगाया है।

Pramod Praveen पीटीआई, जम्मूTue, 17 Dec 2024 05:19 PM
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जम्मू-कश्मीर के छात्रों ने राज्य की उमर अब्दुल्ला सरकार पर भर्तियों में हिन्दी और संस्कृत से भेदभाव करने का आरोप लगाया है और सरकार के खिलाफ जम्मू में सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन किया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नेतृत्व में सैकड़ों छात्रों ने मंगलवार को विरोध मार्च निकाला और जम्मू राजमार्ग पर मुख्य तवी पुल को जाम करते हुए वहीं धरने पर बैठ गए। प्रदर्शनकारी छात्रों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार पर जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग (JKPSC) द्वारा हाल ही में 10+2 लेक्चरर पदों के लिए जारी की गई भर्ती अधिसूचना में हिंदी और संस्कृत को दरकिनार करने का आरोप लगाया है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अरबी और फारसी जैसी विदेशी भाषाओं को बढ़ावा दे रही है, जिन्हें भर्ती अधिसूचना में शामिल किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां लेकर और नारे लगाते हुए जम्मू विश्वविद्यालय से शहर भर में मार्च किया और क्षेत्रीय और भाषाई भेदभाव के खिलाफ हल्ला बोला। इस दौरान ABVP नेता सुरिंदर सिंह ने कहा, "मौजूदा सरकार द्वारा क्षेत्रीय और भाषाई भेदभाव किया जा रहा है। हिंदी और संस्कृत जैसी राष्ट्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के बजाय, उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि ये भाषाएं हमारी पहचान का हिस्सा हैं।"

उन्होंने कहा, "हम किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सरकार द्वारा हिंदी और संस्कृत के बजाय अरबी और फारसी जैसी विदेशी भाषाओं को प्राथमिकता देना एक सुनियोजित साजिश है। यह हमारी सभ्यता पर हमला है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।" एबीवीपी नेता अनीता देवी ने भी इसी तरह की भावनाओं को दोहराते हुए कहा, "यह सिर्फ भर्ती के बारे में नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक पहचान की लड़ाई है।"

प्रदर्शनकारी छात्रों ने 575 अन्य शिक्षण पदों के विज्ञापन के बावजूद 12 नवंबर को आयोग द्वारा अपने नोटिस में हिंदी और संस्कृत के व्याख्याता पदों को छोड़ दिए जाने पर निराशा व्यक्त की। प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा, “हम इसके लिए शिक्षा मंत्री सकीना इटू को दोषी ठहराते हैं और उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार को चेतावनी देते हैं कि जम्मू में छात्र इसे चुपचाप स्वीकार नहीं करेंगे। इस सरकार की कश्मीर-केंद्रित नीतियां हमें अस्वीकार्य हैं और हम इस भेदभाव का डटकर मुकाबला करेंगे।”

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इस दौरान कई प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपनी गिरफ्तारियां दी और धरना जारी रखा। हालांकि, वरिष्ठ पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उनसे नाकाबंदी हटाने के लिए बात की लेकिन वे नहीं माने, तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है। भाजपा समेत कई संगठनों ने सरकार के इस कदम की निंदा की है और गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है।

भाजपा विधायक विक्रम रंधावा ने कहा, "उमर सरकार ने अभी-अभी सत्ता संभाली है और उसने जम्मू के युवाओं की वैध आकांक्षाओं को दरकिनार करते हुए अपनी कश्मीर-केंद्रित नीतियों को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। यह अस्वीकार्य है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।" रंधावा ने जेकेपीएससी से हिंदी के लिए 200 पद और डोगरी, पंजाबी और संस्कृत के लिए कम से कम 20 पद जोड़कर क्षेत्रीय भाषाओं के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की मांग की है।

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