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Hindi Newsविदेश न्यूज़Why Release of Indians from Russian Army held up over contracts

कॉन्ट्रैक्ट रद्द नहीं कर रही पुतिन सरकार? रूसी सेना से भारतीयों की रिहाई क्यों अटकी

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को जुलाई में मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी मुलाकात के दौरान उठाया था। तब से यह मामला नई दिल्ली और मॉस्को के बीच राजनयिक चैनलों के माध्यम से उठाया गया है।

Amit Kumar हिन्दुस्तान टाइम्स, रेजाउल एच लस्कर, मॉस्कोSat, 7 Sep 2024 04:58 PM
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रूस की सेना में सेवा दे रहे लगभग 70 भारतीयों की रिहाई को लेकर अब भी प्रक्रिया रुकी हुई है। इसके पीछे कॉन्ट्रैक्ट को वजह बताया जा रहा है। दरअसल रूसी अधिकारियों ने उनके मिलिट्री सर्विस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द नहीं किया है। मामले से जुड़े लोगों ने शनिवार को यह जानकारी दी। यूक्रेन के साथ युद्ध में लड़ते हुए कम से कम 9 भारतीयों की मौत हो चुकी है। इसके बाद, रूसी सैन्य इकाइयों में सपोर्ट स्टाफ के रूप में काम कर रहे भारतीय नागरिकों की रिहाई और उन्हें भारत भेजने का मुद्दा संवेदनशील बन गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को जुलाई में मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी मुलाकात के दौरान उठाया था। तब से यह मामला नई दिल्ली और मॉस्को के बीच राजनयिक चैनलों के माध्यम से उठाया गया है। सूत्रों ने बताया कि 70 भारतीयों की रिहाई में देरी का मुख्य कारण यह है कि रूस के रक्षा मंत्रालय ने अभी तक उनके मिलिट्री सर्विस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए हैं। भारतीय सरकार इस मुद्दे पर लगातार रूसी अधिकारियों के संपर्क में है और इस समस्या के समाधान की कोशिश की जा रही है।

सूत्रों ने बताया कि "रूसी रक्षा मंत्रालय को एक अधिनियम जारी करना होगा जिससे इन कॉन्ट्रैक्ट्स को रद्द किया जा सके, और अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।" एक अन्य सूत्र ने बताया कि रूसी रक्षा मंत्रालय की ओर से देरी का कारण यह हो सकता है कि अन्य देशों के नागरिकों द्वारा हस्ताक्षरित अनुबंधों पर इस तरह के रद्दीकरण का क्या प्रभाव पड़ेगा, इसे लेकर आशंकाएं हैं। हाल के हफ्तों में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कुल 91 भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती किया गया था और उनमें से 15 को रिहा कर भारत वापस भेज दिया गया है। वर्तमान में 68 भारतीय रूसी सेना से रिहाई का इंतजार कर रहे हैं।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 9 अगस्त को लोकसभा में बोलते हुए कॉन्ट्रैक्ट की समस्या का संकेत दिया था। उन्होंने कहा, "समस्या यह है कि रूसी अधिकारियों का मानना ​​है कि इन भारतीय नागरिकों ने रूसी सेना के साथ सेवा के लिए अनुबंध किया था। हम जरूरी नहीं कि इस बात से सहमत हों।" जयशंकर ने कहा कि भारतीय पक्ष इस मामले को बहुत गंभीरता से लेता है और पीएम मोदी को पुतिन से आश्वासन मिला है कि रूसी सेना की सेवा में शामिल किसी भी भारतीय नागरिक को बर्खास्त कर दिया जाएगा।

संसद में जयशंकर के बयान के एक दिन बाद, नई दिल्ली में रूसी दूतावास ने कहा कि इस साल अप्रैल में रूसी सशस्त्र बलों में भारतीय नागरिकों की भर्ती रोक दी गई और अधिकारी उन भारतीयों की जल्द से जल्द छुट्टी के लिए काम कर रहे हैं। रूस ने कहा कि उन्होंने “स्वेच्छा से सैन्य सेवा के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया था”। दूतावास ने मृतकों के परिवारों के प्रति भी संवेदना व्यक्त की और कहा कि सभी संविदात्मक दायित्व और मुआवजा भुगतान “पूरी तरह से पूरा किया जाएगा”।

भारतीय पक्ष ने भी यह कहा है कि रूसी सेना में भर्ती किए गए कई भारतीयों को बेईमान भर्ती एजेंटों द्वारा “गुमराह” किया गया या धोखा दिया गया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भारतीयों की भर्ती में उनकी कथित भूमिका के लिए 19 व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है और कई गिरफ्तारियां की हैं।

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