इजरायल पर करम और यूक्रेन पर सितम; डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति का क्या है चीन कनेक्शन
- बाइडेन सरकार का फैसला पलट गया है, जिसके तहत इजरायल को हथियारों के लिए फंडिंग रोकी गई थी। ऐसे में लोगों के मन में यह सहज सवाल है कि आखिर क्यों इजरायल की फंडिंग अमेरिका ने बढ़ा दी है और यूक्रेन के साथ इसके उलट व्यवहार किया जा रहा है। आखिर इसके पीछे डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की क्या रणनीति है।

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद आंतरिक स्तर पर बदलाव के साथ ही विदेश नीति में भी काफी परिवर्तन आ रहे हैं। खुद डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को वाइट हाउस में बिठाकर खूब सुनाया और फंडिंग रोक दी है। वहीं इजरायल के लिए 4 अरब डॉलर का फंड मंजूर किया गया है। इसके साथ ही जो बाइडेन सरकार का फैसला पलट गया है, जिसके तहत इजरायल को हथियारों के लिए फंडिंग रोकी गई थी। ऐसे में लोगों के मन में यह सहज सवाल है कि आखिर क्यों इजरायल की फंडिंग अमेरिका ने बढ़ा दी है और यूक्रेन के साथ इसके उलट व्यवहार किया जा रहा है। आखिर इसके पीछे डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की क्या रणनीति है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप और उनकी रिपब्लिकन पार्टी का मानना है कि यूक्रेन को युद्ध रोकने के लिए राजी कर रूस को साधा जा सकता है। इसकी एक वजह यह मानी जा रही है कि रूस को साथ लेकर चीन को ट्रेड वॉर में काउंटर किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में वह यूक्रेन से पल्ला झाड़ रहा है। वहीं इजरायल के लिए फंडिंग जारी है क्योंकि वह पहले ही सऊदी अरब, मिस्र और जॉर्डन जैसे देशों को साध चुका है। यहां अमेरिका के सामने यूक्रेन युद्ध जैसी मजबूरी नहीं है। इजरायल वाले मामले में सऊदी अरब समेत तमाम मुस्लिम देश न्यूट्रल रोल में हैं, जबकि हमास को खुला समर्थन ईरान से मिल रहा है।
ईरान से अमेरिका की फिलहाल सीधी अदावत है। ऐसे में ईरान और उसके समर्थित उग्रवादी संगठनों हमास, हिजबुल्लाह से निपटने के लिए वह इजरायल की फंडिंग में इजाफा कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप तो कह ही चुके हैं कि हमास से जंग में इजरायल अस्तित्व के खतरे का भी सामना कर रहा है। इसलिए इस जंग को निर्णायक मोड़ पर ही खत्म किया जा सकता है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड एफ. बेंसेल का कहना है, ‘यूक्रेन से जु़ड़ा मामला धार्मिक अपील वाला नहीं है। ऐसे में उससे दूरी बनाने से अमेरिका को कोई नुकसा नहीं है। इससे ना तो नैरेटिव खराब होता है और ना ही आर्थिक रूप से कोई नुकसान की स्थिति है। अमेरिका में यूक्रेनी लॉबी भी उतनी मजबूत नहीं है कि सरकार पर दबाव बन सके।’
बता दें कि इजरायल का तो अमेरिका खुलकर समर्थन कर रहा है। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने 4 अरब डॉलर का फंड तत्काल जारी करने का आदेश दिया है। यह फंड इजरायल को सैन्य सहायता के लिए मिलेगा। रुबियो ने कहा, 'बाइडेन प्रशासन ने इजरायल को हथियारों की सप्लाई पर रोक लगा दी थी। यह गलत फैसला था। अब हमने उसे बदला है और इजरायल का वाउट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप से बड़ा कोई और हितैषी नहीं है।'
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