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क्या है BRICS? पश्चिमी ताकतों के वर्चस्व को तोड़ता है ग्रुप, बेहद खास है भारत की भूमिका

  • ग्लोबल GDP में ब्रिक्स का योगदान 35.6% है, जबकि जी7 का योगदान 30.3% है। ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ब्रिक्स क्या है? तनावपूर्ण भरी दुनिया में यह कितना महत्वपूर्ण है? भारत के लिए विस्तारित ब्रिक्स का क्या मतलब है?

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, मॉस्कोTue, 22 Oct 2024 04:22 PM
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BRICS Explained: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार (22 अक्टूबर) को रूस के कजान पहुंचे, जहां वे 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह शिखर सम्मेलन समूह के पिछले साल के विस्तार के बाद पहला है। भारत के लिए यह सम्मेलन खास महत्व रखता है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिल सकते हैं। यह मुलाकात ऐसे समय में हो सकती है जब दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने के लिए सहमत हुए हैं। इस लिहाज से ये समिट और भी खास मानी जा रही है क्योंकि इस ग्रुप की दो सबसे बड़ी शक्तियों ने तनाव कम करने पर सहमति हासिल कर ली है। आर्थिक आकार के मामले में ब्रिक्स पहले ही पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाले जी7 से आगे निकल चुका है। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में ब्रिक्स का योगदान 35.6% है, जबकि जी7 का योगदान 30.3% है।

ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ब्रिक्स क्या है? लगातार तनावपूर्ण होती दुनिया में यह समूह कितना महत्वपूर्ण है? भारत के लिए विस्तारित ब्रिक्स का क्या मतलब है? आइए विस्तार से समझते हैं।

ब्रिक्स (BRICS) अभी तक पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर्राष्ट्रीय समूह था, जिसमें (B) ब्राजील, (R) रूस, (I) भारत, (C) चीन और S (दक्षिण अफ्रीका) शामिल हैं। लेकिन अब इसका विस्तार हो चुका है। इस साल 1 जनवरी को, ब्रिक्स ने चार नए सदस्यों को शामिल किया- मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात। यह संगठन अब दुनिया की लगभग आधी आबादी और दुनिया की अर्थव्यवस्था के लगभग एक चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।

इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना है, जिससे एक बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का निर्माण हो सके। ब्रिक्स पश्चिमी देशों द्वारा संचालित वैश्विक आर्थिक संस्थाओं (जैसे IMF और वर्ल्ड बैंक) के सामने एक संतुलन कायम करने के लिए बना है। यह एक गैर-पश्चिमी समूह है।

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BRICS का इतिहास

2001 में पहली बार “ब्रिक” (BRIC) शब्द का प्रयोग गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ’नील ने किया था। उन्होंने चार सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं (ब्राजील, रूस, भारत, और चीन) को मिलाकर BRIC का प्रस्ताव रखा।

एक औपचारिक समूह के रूप में, BRIC की शुरुआत 2006 में G8 आउटरीच शिखर सम्मेलन के दौरान सेंट पीटर्सबर्ग में रूस, भारत और चीन के नेताओं की बैठक के बाद हुई थी। इस समूह को 2006 में न्यूयॉर्क में UNGA के दौरान BRIC विदेश मंत्रियों की पहली बैठक के दौरान औपचारिक रूप दिया गया था।

2009 में इन चार देशों ने पहली बार आधिकारिक तौर पर एक शिखर सम्मेलन आयोजित किया, और इस मंच को एक औपचारिक समूह के रूप में स्थापित किया गया। 2010 में दक्षिण अफ्रीका को भी इस समूह में शामिल किया गया, जिसके बाद से इसे BRICS कहा जाने लगा। 2010 में न्यूयॉर्क में BRIC विदेश मंत्रियों की बैठक में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करने का निर्णय लिया गया और तदनुसार, दक्षिण अफ्रीका ने 2011 में चीन के सान्या में तीसरे BRICS शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

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भारत के लिए BRICS का महत्व

आर्थिक लाभ: BRICS समूह विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 42% और वैश्विक GDP का लगभग 30% हिस्सा रखता था। लेकिन अनौपचारिक आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो ये संख्या अब काफी ज्यादा हो सकती है। क्योंकि ब्रिक्स के पुराने और नए सदस्य देशों- ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात की कुल जनसंख्या लगभग 4.7 अरब है। विश्व की कुल जनसंख्या लगभग 8 अरब मानी जाती है। इस आधार पर, इन देशों की कुल जनसंख्या विश्व जनसंख्या का लगभग 58.75% है। यानी ये ग्रुप अकेले विश्व की आधी से ज्यादा जनसंख्या का प्रतिनिधत्व करता है। वहीं वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में ब्रिक्स का योगदान अब 35.6% है।

विकास के नए अवसर: BRICS विकासशील देशों के लिए एक मंच प्रदान करता है जहां सदस्य देश आपसी सहयोग से निवेश, व्यापार और आर्थिक सुधार की दिशा में कार्य कर सकते हैं। भारत के लिए यह मंच नई तकनीकों, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और आर्थिक सुधारों में सहयोग प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

नई विकास बैंक (NDB): 2014 में BRICS ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना की, जिसका मुख्यालय शंघाई में है। यह बैंक सदस्य देशों को विकासशील प्रोजेक्ट्स के लिए ऋण प्रदान करता है, जो भारत जैसे देशों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में मददगार साबित हुआ है।

राजनीतिक प्रभाव: भारत के लिए BRICS का सदस्य होना उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। इस मंच पर भारत अपनी कूटनीतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर वैश्विक निर्णयों में प्रभावी भूमिका निभाता है।

भारत की भूमिका

सक्रिय भागीदारी: भारत ने BRICS शिखर सम्मेलनों में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2016 में भारत ने गोवा में BRICS शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। भारत अपनी तकनीकी क्षमताओं, स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा में सुधार के मॉडल को साझा करता है, जिससे अन्य सदस्य देशों को भी लाभ मिलता है।

सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी प्रयास: BRICS के माध्यम से भारत ने आतंकवाद और सुरक्षा के मुद्दों पर जोर दिया है। भारत के लिए यह एक प्रमुख मंच है जहां वह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटा सकता है, विशेषकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे पर।

वैश्विक चुनौतियों के समाधान में भागीदारी: जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर BRICS में भारत ने नेतृत्व दिखाया है। भारत ने इस मंच पर सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

पश्चिमी शक्तियों के खिलाफ संतुलन

मौद्रिक और वित्तीय संतुलन: BRICS के सदस्य देशों ने IMF और वर्ल्ड बैंक जैसे पश्चिमी नेतृत्व वाले संगठनों के प्रभाव को कम करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक और कंटिनजेंट रिजर्व अरेंजमेंट (CRA) की स्थापना की है। यह संगठन पश्चिमी वित्तीय संस्थानों की एकाधिकारवादी नीतियों को चुनौती देते हैं।

विकल्प तैयार करना: पश्चिमी देशों द्वारा विकसित देशों के आर्थिक मामलों में बढ़ते प्रभाव के सामने BRICS एक वैकल्पिक मंच प्रदान करता है। यह मंच विकासशील देशों के लिए एक आर्थिक और कूटनीतिक ताकत बनता जा रहा है।

भूराजनीतिक संतुलन: BRICS का उद्देश्य वैश्विक राजनीति में पश्चिमी वर्चस्व को चुनौती देना है। यह समूह संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों में पश्चिमी देशों के नियंत्रण को कम करने की दिशा में काम करता है।

टेक्नोलॉजी और विज्ञान में सहयोग: पश्चिमी तकनीकी मोनोपोली के मुकाबले BRICS सदस्य देश एक दूसरे के साथ तकनीकी सहयोग और अनुसंधान विकास में तेजी लाने का प्रयास कर रहे हैं। भारत जैसे देश इस क्षेत्र में अपने IT और फार्मास्युटिकल क्षमताओं को अन्य BRICS देशों के साथ साझा करते हैं।

चुनौतिया

हालांकि BRICS एक मजबूत मंच है, लेकिन आंतरिक चुनौतियों का भी सामना करता है। चीन और भारत के बीच कुछ भू-राजनीतिक तनाव, रूस के साथ पश्चिमी देशों के प्रतिबंध, और ब्राजील में राजनीतिक अस्थिरता जैसी चुनौतियां हैं। लेकिन ये देश आपसी मतभेदों के बावजूद, वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक प्रणाली में सुधार की दिशा में मिलकर काम करते रहते हैं।

भारत के लिए BRICS एक महत्वपूर्ण मंच है, जो उसे वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर एक नई पहचान देता है। यह संगठन पश्चिमी शक्तियों के सामने एक सशक्त विकल्प बनकर उभर रहा है, जहाँ विकासशील देश अपनी समस्याओं के समाधान और सहयोग के नए रास्ते खोज रहे हैं। BRICS के माध्यम से भारत न केवल अपने आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि वैश्विक मंच पर एक सशक्त नेता के रूप में उभर रहा है।

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