Hindi Newsविदेश न्यूज़Putin prestige increases how BRICS will break the pride of America UK and Western Countries

पश्चिमी देशों की साख पर ग्रहण, पुतिन की बढ़ी शान; BRICS से टूटेगा अमेरिका-UK का गुमान

  • ब्रिक्स पहले ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका तक सीमित था, अब इसका तेजी से विस्तार हो रहा है। हाल ही में ईरान, मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देश इस समूह में शामिल हुए हैं।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानTue, 22 Oct 2024 02:53 PM
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BRICS Summit News: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस हफ्ते चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन और ईरान के मसूद पेजेश्कियान से मुलाकात करेंगे। ये सभी नेता मंगलवार को रूस के कजान शहर में ब्रिक्स के विस्तारित समूह की बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक से पुतिन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट संदेश दिया है कि पश्चिमी देशों द्वारा उन्हें अलग-थलग करने की कोशिशें असफल साबित हो रही हैं।

ब्रिक्स पहले ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका तक सीमित था, अब इसका तेजी से विस्तार हो रहा है। हाल ही में ईरान, मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे देश इस समूह में शामिल हुए हैं। इसके अलावा तुर्की, अजरबैजान और मलेशिया ने औपचारिक रूप से आवेदन किया है और कई अन्य देश भी इस समूह का हिस्सा बनने की इच्छा जता चुके हैं।

पुतिन की कूटनीति और पश्चिम की नाकामी

इस बैठक को रूस के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने जानकारी दी कि 36 देशों ने भाग लेने की पुष्टि की है, जिनमें से 20 देशों के प्रमुख इस बैठक में शामिल होंगे। पुतिन इस दौरान लगभग 20 द्विपक्षीय बैठकें करेंगे, जो इस सम्मेलन को रूस की धरती पर आयोजित सबसे बड़े विदेशी नीति कार्यक्रमों में से एक बना देगा।

पुतिन और उनके समर्थकों के लिए यह सम्मेलन पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका और ब्रिटेन की विफलता का प्रमाण है। जहां एक ओर अमेरिका और उसके सहयोगी पुतिन को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दुनिया के कई शक्तिशाली देश उनके साथ खड़े हैं। यह सम्मेलन रूस के लिए एक मंच बन रहा है जहां वह अपने आर्थिक और सैन्य साझेदारों से संबंध मजबूत कर सकेगा और पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना करने के लिए रणनीतियाँ बना सकेगा।

ईरान और चीन से पुतिन की बढ़ती नजदीकियां

इस बैठक के दौरान रूस और ईरान के बीच एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ती निकटता को और मजबूती देगा। यूक्रेन युद्ध के दौरान ईरान ने रूस को सैकड़ों ड्रोन उपलब्ध कराए हैं, जिससे रूस को यूक्रेन पर हमले जारी रखने में मदद मिली है। बदले में, ईरान रूस से अत्याधुनिक हथियारों और लड़ाकू विमानों की उम्मीद कर रहा है, ताकि वह अपने प्रतिद्वंद्वी इजरायल के हमलों से खुद का बचाव कर सके। चीन और रूस के बीच भी इस सम्मेलन के दौरान आर्थिक, तकनीकी और सैन्य संबंधों को और गहरा करने की संभावना है। दोनों देश मिलकर एक वैकल्पिक अंतरराष्ट्रीय व्यापार मुद्रा बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो अमेरिकी डॉलर की प्रधानता को चुनौती दे सके।

भारत और रूस का पुराना दोस्ताना

भारत और रूस के बीच भी इस बैठक के दौरान महत्वपूर्ण बातचीत की उम्मीद है। भारत के लिए रूस एक पुराना और विश्वसनीय साझेदार है, खासकर रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में। हालांकि, पश्चिमी देश चाहते हैं कि भारत रूस पर दबाव डालकर यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में काम करे। दूसरी ओर, तुर्की भी ब्रिक्स समूह का हिस्सा बनने की दिशा में अग्रसर है। तुर्की और पश्चिमी देशों के बीच रिश्तों में खटास के बीच, यह समूह एर्दोगन के लिए एक नई कूटनीतिक दिशा प्रदान कर सकता है।

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