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डोनाल्ड ट्रंप से मिलने को बेताब हैं पुतिन, अमेरिका की तरफ से खामोशी क्यों; रूस ने तोड़ी चुप्पी

  • यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस और अमेरिका की बैठक का इंतजार थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस मामले में रूस ने चुप्पी तोड़ी। कहा कि पुतिन ट्रंप से मिलने को बेताब हैं, लेकिन अमेरिका की तरफ से खामोशी क्यों है?

Gaurav Kala रॉयटर्स, मॉस्कोMon, 27 Jan 2025 04:22 PM
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डोनाल्ड ट्रंप से मिलने को बेताब हैं पुतिन, अमेरिका की तरफ से खामोशी क्यों; रूस ने तोड़ी चुप्पी

जब से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की गद्दी संभाली है, तब से दुनिया यूक्रेन युद्ध के खत्म होने का इंतजार कर रही है। दरअसल, ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद दावा किया था कि वे चुटकी बजाते ही यूक्रेन युद्ध को खत्म कर सकते हैं। शपथ लेने के बाद भी ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जल्द मुलाकात करने की बात कही थी। ट्रंप के बयान के बाद रूस ने भी अमेरिकी नेता से मुलाकात का स्वागत किया था। सोमवार को क्रेमलिन ने पूरे मामले में चुप्पी तोड़ी। कहा कि पुतिन ट्रंप से मिलने को बेताब हैं, लेकिन अमेरिका की तरफ से खामोशी छाई हुई है। रूस ने कहा कि वे ट्रंप का स्वागत करने के लिए तैयार हैं।

क्रेमलिन ने सोमवार को कहा कि उसे अब तक संयुक्त राज्य अमेरिका से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच संभावित बैठक आयोजित करने के बारे में कोई संकेत नहीं मिला है, लेकिन वह ऐसी मुलाकात आयोजित करने के लिए तैयार है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "अब तक, हमें अमेरिकियों से मीटिंग को लेकर कोई संकेत नहीं मिला है।"

ट्रंप से मिलने को बेताब हैं पुतिन

क्रेमलिन प्रवक्ता ने कहा, "ट्रंप से बैठक के लिए रूस की तत्परता बनी हुई है, और जितना हमने सुना है, उतनी ही तत्परता अमेरिकी पक्ष की भी होगी, लेकिन अमेरिका की हमसे ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है।" पुतिन ने ट्रंप से मुलाकात के सवाल पर कहा था कि उन्हें और ट्रंप को यूक्रेन युद्ध और ऊर्जा की कीमतों पर चर्चा करने के लिए मिलना चाहिए, ये वे मुद्दे हैं जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने नए प्रशासन के पहले दिनों में प्रमुखता दी है।

ट्रंप के दावों को रूस ने खारिज किया

रूस ने बीते शुक्रवार को ट्रंप के सुझाव को खारिज करते हुए जोर देकर कहा कि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में गिरावट आने से यूक्रेन युद्ध का अंत करने में कोई मदद नहीं मिल सकती। दरअसल, स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच के वार्षिक कार्यक्रम को ‘व्हाइट हाउस’ से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा था कि यूक्रेन में लगभग तीन साल से जारी युद्ध के लिए तेल निर्यातक देशों का गठबंधन ओपेक जिम्मेदार है क्योंकि इसने तेल की कीमतें बहुत अधिक रखी हैं। ट्रंप ने कहा, ‘‘अगर कीमत कम हो गई तो रूस-यूक्रेन युद्ध तुरंत खत्म हो जाएगा।’’ ईंधन सामग्री की बिक्री का रूस की कमाई में बड़ा योगदान है।

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ट्रंप की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने अपने देश के उस विचार की पुष्टि की जिसमें कहा गया है कि यूक्रेनी संघर्ष रूसी सुरक्षा हितों को ध्यान में रखने से पश्चिम के इनकार के कारण शुरू हुआ। पेसकोव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘युद्ध तेल की कीमतों पर निर्भर नहीं करता। रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उत्पन्न खतरे, उन क्षेत्रों में रहने वाले रूसियों के लिए उत्पन्न खतरे और अमेरिकियों और यूरोपीय लोगों द्वारा रूस की सुरक्षा चिंताओं पर गौर करने से इनकार करने के कारण यह संघर्ष जारी है। इसका तेल की कीमतों से कोई लेना-देना नहीं है।’’

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