ट्रम्प से पहले दोस्त पुतिन ने ही जिनपिंग को दे दिया गच्चा, आयात पर भारी-भरकम टैक्स लगाया
रूसीअधिकारियों ने चीनी फर्नीचर में इस्तेमाल किए जाने वाले स्लाइडिंग रेल भागों को नई कैटगरी में बांटा है और उन्हें बियरिंग वाले फर्नीचर के रूप में चिह्नित किया है। इस का सीधा सा मतलब यह है कि इन फर्नीचरों के साजो- सामान पर अब 55.65 फीसदी का व्यापार शुल्क लगेगा, जो पहले शून्य था।
रूस और चीन की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। यह बात भी जगजाहिर है कि यूक्रेन युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के धत्ता बताते हुए चीनी राष्ट्रपति शी जनपिंग ने अपने मित्र और रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन की सैन्य से लेकर आर्थिक मदद की है। बावजूद इसके रूस ने चीन से आयात होने वाले सामान पर भारी भरकम व्यापार कर थोप दिया है। ऐसा तब हुआ है, जब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी चीन पर 100 फीसदी तक ट्रेड टैरिफ लगाने की धमकी दी है।
रूस के फर्नीचर और वुडवर्किंग एंटरप्राइजेज एसोसिएशन ने 28 नवंबर को एक बयान में घोषणा की कि व्लादिवोस्तोक में सीमा शुल्क अधिकारियों ने चीनी फर्नीचर में इस्तेमाल किए जाने वाले स्लाइडिंग रेल भागों को नई कैटगरी में बांटा है और उन्हें बियरिंग वाले फर्नीचर के रूप में चिह्नित किया है। इस वर्गीकरण का सीधा सा मतलब यह है कि इन फर्नीचरों के साजो- सामान पर अब 55.65 फीसदी का व्यापार शुल्क लगेगा, जो पहले शून्य था।
फोर्ब्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस शुल्क बढ़ोत्तरी से जहां चीनी निर्यातक परेशान हैं, वहीं रूसी आयातक भी मुश्किलों में हैं क्योंकि इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। रूस के फर्नीचर और वुडवर्किंग एंटरप्राइजेज एसोसिएशन ने कहा है कि इस कदम से रूस के आयातक दिवालिया हो सकते हैं और फर्नीचरों की कीमत में 15 फीसदी तक इजाफा हो सकता है। बता दें कि रूस का सुदूर पूर्वी बंदरगाह शहर पर चीनी फर्नीचरों का 90 फीसदी माल उतरता है। एक बात और गौर करने वाली है कि यूरोपीय देशों से आयात होने वाले इसी किस्म के फर्नीचर फिटिंग्स पर सिर्फ 10 फीसदी का टैक्स लगता रहा है।
गौरतलब है कि फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रूस और चीन के बीच व्यापार में बड़ी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इस से पश्चिमी प्रतिबंधों के तहत रूस की युद्धकालीन अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में मदद मिली है। 2023 में रूस-चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार रिकॉर्ड 240 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो रूसी तेल निर्यात और इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहनों और मशीनरी की चीनी बिक्री की वजह से हुआ है। यह आंकड़ा साल 2022 में दर्ज पिछले रिकॉर्ड से 50 बिलियन डॉलर की वृद्धि दर्शाता है।
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