अमेरिका-चीन के बीच शुरू हुआ ट्रेड वार! टैरिफ की जंग में कैसे भारत की हो सकती है बल्ले-बल्ले?
- डोनाल्ड ट्रंप के एक्शन के बाद अब चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 10 से 15 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। इसके बाद अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार लगभग शुरू हो चुका है। जानते हैं कि यह स्थिति भारत के लिए फायदेमंद कैसे साबित हो सकती है।
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर बड़ा हमला करते हुए चीनी उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। भले ही बीते कई दिनों से ट्रंप इसे लेकर चेतावनी जारी कर रहे हो लेकिन उनके इस कदम ने वैश्विक राजनीति में भूचाल सा ला दिया है। अब चीन की जवाबी कार्रवाई से ट्रेड वार को लेकर चिंताएं और बढ़ती जा रही हैं। दुनिया के कई देशों में ट्रंप को सख्ती को लेकर खौफ का माहौल है। वहीं भारत भी इस स्थिति पर लगातार एलर्ट है। हालांकि जानकारों की माने तो अमेरिका और चीन के बीच अगर ट्रेड वार शुरू भी हुआ तो इससे भारत को चिंतित नहीं होना चाहिए।
सरकारी सूत्रों ने बताया है कि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार की स्थिति में भारत को नुकसान नहीं, बल्कि फायदा होने वाला है। सूत्रों के मुताबिक भारत ट्रंप के हाई टैरिफ से अछूता नहीं रहने वाला है। भारत के कुछ उत्पादों पर अमेरिका ज्यादा कर भी लगा सकता है। हालांकि इसके बावजूद अमेरिका में भारत का निर्यात बढ़ेगा। जानकारों के मुताबिक भविष्य में भारत को लेकर ट्रंप कोई भी निर्णय लें पर भारत को इस ट्रेड वार से फायदा मिलने की उम्मीद है। एक सरकारी अधिकारी ने ट्रंप के पिछले कार्यकाल का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका और चीन के बीच हुए ट्रेड वार से भारत को पहले भी लाभ हुआ था। उन्होंने कहा, "तब भारत अमेरिका को लगभग 57 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात करता था। ट्रेड वार के बाद यह बढ़कर 73 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।"
भारत को कैसे हो सकता है फायदा
घटनाक्रम से अवगत एक अधिकारी ने बताता, "हमने भारतीय एक्सपोर्टर्स के साथ भी इस पर चर्चा की है और एक्सपोर्ट ऑर्डर के बारे में मूड और इमोशन को समझने की कोशिश की। हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में वे निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।" एक्सपोर्टर्स ने यह भी कहा है कि चीनी उत्पादों पर टैक्स लगाने से भारत को अमेरिका में निर्यात के ज्यादा अवसर मिलेंगे। टैरिफ की वजह ना सिर्फ अमेरिका में चीन का निर्यात प्रभावित होगा बल्कि समानों की कीमत में भी बढ़ोतरी होगी। इकॉनमिक टाइम्स ने फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक अजय सहाय के हवाले से बताया, “यह कदम भारत के लिए अच्छे अवसर पैदा कर सकता है क्योंकि अमेरिकी खरीददार ज्यादा कीमत चुकाने से बचने के लिए विकल्प की तलाश करेंगे।”
अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर
अजय सहाय ने कहा कि इलेक्ट्रिकल मशीनरी, ऑटो मोबाइल सेक्टर, मोबाइल, फार्मा, केमिकल, और रेडिमेड कपड़े के क्षेत्र में भारत को अच्छा-खासा लाभ होने की उम्मीद है।" बता दे कि अप्रैल-नवंबर 2024-25 के दौरान, अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर रहा। इस दौरान दोनों देशों के बीच लगभग 82 बिलियन अमरीकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। वहीं 2021 से 2024 के बीच अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर रह चुका है।
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