Hindi Newsविदेश न्यूज़Textbooks in Bangladesh will now show Ziaur Rahman not Mujibur Rahman declared the country independance

बांग्लादेश में बदल जाएगा इतिहास! क्यों दोबारा लिखी जा रही 1971 मुक्ति संग्राम की कहानी?

  • बांग्लादेश में आवामी लीग के सत्ता से हटते ही देश का माहौल बदलने लगा है। पहले हिंदुओं के खिलाफ लगातार हो रहे हमले, संविधान को बदलने की खबरें आने के बाद अब खबर है कि बांग्लादेश 1971 के मुक्ति संग्राम की कहानी ही बदल देगा।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानThu, 2 Jan 2025 07:20 AM
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पिछला साल बांग्लादेश के लिए उथल-पुथल से भरा रहा। छात्र आंदोलन से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद आवामी लीग पार्टी और शेख हसीना के शासन का अंत हो गया। इसके बाद इस्लामिक सरकार ने सत्ता संभाल ली है। जब से अंतरिम सरकार ने सत्ता की चाभी संभाली है वह एक-एक कर आवामी लीग और बंगबंधु मुजीबुर रहमान की निशानियों को मिटाने की कोशिश की जुटी है। इस बीच यह खबर आई है कि बांग्लादेश में इतिहास के पन्नों को बदलने की कोशिश की जा रही है। यहां की स्कूली किताबों में 1971 में हुए मुक्ति संग्राम के इतिहास को ही बदल दिया जाएगा।

द डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब बांग्लादेश की किताबों में यह लिखा जाएगा कि देश की आजादी की घोषणा ‘बंगबंधु’ शेख मुजीबुर रहमान ने नहीं, बल्कि जियाउर रहमान ने की थी। यही नहीं नई किताबों में मुजीब से ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि भी छीन ली जाएगी। बांग्लादेश की राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर ए के एम रेजुल हसन ने बुधवार को बताया, “2025 शैक्षणिक वर्ष के लिए नई किताबों में लिखा जाएगा कि 26 मार्च 1971 को जियाउर रहमान ने बांग्लादेश की आजादी की घोषणा की और 27 मार्च को उन्होंने बंगबंधु की ओर से आजादी की एक बार फिर यह घोषणा की।”

मुजीब और जियाउर की विरासत को लेकर विवाद

गौरतलब है कि जियाउर रहमान बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी बीएनपी के संस्थापक और मौजूदा बीएनपी प्रमुख खालिदा जिया के पति थे। वहीं हाल ही में सत्ता छोड़ने को मजबूर हुईं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता मुजीब ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया था। मुजीब और जियाउर की विरासत को लेकर बांग्लादेश में हमेशा से ही राजनीतिक विवाद रहा है। यह सवाल उठते आए हैं कि बांग्लादेश की आजादी की घोषणा किसने की। जहां मुजीब के नेतृत्व में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का नेतृत्व करने वाली पार्टी अवामी लीग का दावा है कि यह घोषणा 'बंगबंधु' ने की थी, वहीं बीएनपी अपने संस्थापक जियाउर को इसका श्रेय देती है।

पहले भी हुए हैं बदलाव

यह पहली बार नहीं हुआ है जब बांग्लादेश की पाठ्यपुस्तकों में इस तरह के बदलाव किए गए हैं। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि बांग्लादेश में सत्ता के हिसाब से इतिहास को बदल दिया गया। 1978 में बांग्लादेश के राष्ट्रपति के रूप में जियाउर के शासनकाल के दौरान पहली बार इतिहास को आधिकारिक तौर पर बदल दिया गया था और जियाउर को आजादी की घोषणा करने वाला शख्स बताया गया था। तब से आधिकारिक इतिहास को कई बार लिखा जा चुका है। 2009 में सत्ता में आने के बाद हसीना ने भी इतिहास बदल दिया था।

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इतिहास को छेड़ने की क्या है वजह

दरअसल अंतरिम सरकार में बीएनपी और अन्य अवामी विरोधी दलों का महत्वपूर्ण प्रभाव है। यही वजह है कि सत्ता परिवर्तन होते ही मुजीब और उनकी विरासत को निशाना बनाया गया है। अगस्त में प्रदर्शनकारियों ने ढाका में मुजीब की एक प्रतिमा के साथ दुर्व्यवहार किया था। प्रदर्शनकारियों ने मुजीब के घर को भी आग लगा दी और तोड़फोड़ की। बांग्लादेश के नोटों से मुजीब की तस्वीरों को हटाने की भी खबरें सामने आईं थीं।

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