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बदल जाएगा बांग्लादेश, कट्टरपंथी दौर में राष्ट्रपति और सेना प्रमुख के पद होंगे खत्म, संविधान की विदाई?

  • बांग्लादेश में उस संविधान को ही खत्म करने का ऐलान हो सकता है, जो 1972 में शेख मुजीबर रहमान के दौर में बना था। इसके अलावा राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जैसे पदों का भी खात्मा हो सकता है। वहीं जुलाई में शेख हसीना के खिलाफ हुए आंदोलन को क्रांति का दर्जा दिया जा सकता है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, ढाकाTue, 31 Dec 2024 10:52 AM
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पूरी दुनिया में नए साल 2025 के स्वागत की तैयारियां हो रही हैं, लेकिन भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में अलग ही माहौल है। खबरों के मुताबिक आज यानी 31 दिसंबर को बांग्लादेश में उस संविधान को ही खत्म करने का ऐलान हो सकता है, जो 1972 में शेख मुजीबर रहमान के दौर में बना था। इसके अलावा राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जैसे पदों का भी खात्मा हो सकता है। वहीं जुलाई में शेख हसीना के खिलाफ हुए आंदोलन को क्रांति का दर्जा दिया जा सकता है। यह ईरानी क्रांति जैसा होगा, जिसके बाद शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया था और वह भारत आ गई थीं। खबर है कि शेख हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्र संगठन की ओर से नए रिपब्लिक का ऐलान किया जा सकता है।

स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन की ओर से नए रिपब्लिक की घोषणा किए जाने की तैयारी है। अब तक यह जानकारी नहीं मिली है कि बांग्लादेश को इस्लामिक देश घोषित किया जाएगा या फिर सेकुलर गणराज्य बनाया जाएगा। फिलहाल अस्थिरता का आलम है और राष्ट्रपति एवं आर्मी चीफ जैसे पदों को समाप्त करने से यह और बढ़ सकती है। इससे भारत जैसे पड़ोसी मुल्कों के लिए भी चिंता बढ़ जाएगी। भारत के लिए एक चुनौती तो यही है कि यदि बांग्लादेश में किसी से बात की जाए तो वह कौन होगा। वहां फिलहाल कोई चुनी हुई सरकार नहीं है और अंतरिम सरकार के मुखिया नोबेल विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस हैं। उन्होंने अपने कार्य़काल के दौरान कट्टरपंथियों का खूब साथ दिया है, जिसे लेकर भारत समेत कई मुल्क चिंतित हैं। अमेरिका तक ने इसे लेकर चिंता जाहिर की है।

छात्र नेता हसनत अब्दुल्ला ने बांग्लादेश के मौजूदा संविधान को लेकर कहा कि वह तो मुजीबवादी कानून है। उसे हम समाप्त करेंगे और दफन करेंगे। यही नहीं अब्दुल्ला ने भारत के खिलाफ भी अपनी नफरत को उजागर कर दिया। हसनत ने कहा कि 1972 के उस संविधान के चलते भारत को बांग्लादेश में दखल देने का मौका मिला। अब्दुल्ला ने कहा कि हम 31 दिसंबर की दोपहर को ढाका के सेंट्रल शहीद मीनार में ऐलान करेंगे और बताएंगे कि भविष्य का बांग्लादेश कैसा होगा। माना जा रहा है कि बांग्लादेश में इस तरह कट्टरपंथी विचारधारा के विस्तार लेने के पीछे पाकिस्तान है। यही नहीं छात्र आंदोलन के नाम पर तख्तापलट करने वाले नेता लगातार पाकिस्तान के दूतावास के संपर्क में हैं।

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यही नहीं हाल ही में इस्लामिक देशों के संगठन डी-8 की मीटिंग में मोहम्मद यूनुस और शहबाज शरीफ की मुलाकात हुई थी। इस मीटिंग में दोनों के बीच संबंधों को लेकर बात हुई। इसके अलावा बांग्लादेश ने पाकिस्तान से कारोबार में भी इजाफा किया है। अब बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह तक पाकिस्तान का माल सीधे पहुंच रहा है और उनकी फिजिकल चेकिंग के नियम को भी खत्म कर दिया गया है।

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