पाकिस्तान से रार के बीच करीब आए तालिबान और ईरान, इन मुस्लिम देशों में कैसे बदल रहे हालात
- ईरान में रह रहे 35 लाख अफगानियों को लेकर ईरान और तालिबान सरकार में वार्ता हुई। तालिबान के सुप्रीम लीडर हसन अखुंद ने कहा कि ईरान में अफगानों को मौत के घाट उतारने जैसी घटनाओं ने हमारे लोगों की भावनाओं को भड़काया है।
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पाकिस्तान से रार के बीच तालिबान ने ताकतवर मुस्लिम देश ईरान से नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी है। ईरान और अफगानिस्तान पड़ोसी देश भी हैं और 900 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। काफी समय से दोनों देशों के बीच सीमा पार से अवैध घुसपैठ और जल अधिकारों का मुद्दा हावी रहा है। ईरान ने अभी तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है, लेकिन रविवार को जब ईरान के विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान का दौरा किया और तालिबान के सुप्रीम लीडर से मुलाकात की तो दोनों देशों के बीच बदलते हालात नजर आए। तालिबान के सुप्रीम लीडर और सरकार के कार्यवाहक पीएम मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद ने ईरानी विदेश मंत्री से मुलाकात की। यह अफगानिस्तान में किसी भी ईरानी विदेश मंत्री का 8 साल में पहला दौरा है। हसन अखुंद ने कहा कि ईरान में अफगानों को मौत के घाट उतारने जैसी घटनाओं ने हमारे लोगों की भावनाओं को भड़काया है। हमारे लोगों से सम्मानजक व्यवहार किया जाना चाहिए।
ईरान में रह रहे 35 लाख अफगानियों को लेकर ईरान और तालिबान सरकार में वार्ता हुई। रविवार को ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची अफगानिस्तान पहुंचे। किसी ईरानी विदेश मंत्री का अफगानिस्तान में 8 साल में पहला दौरा है। पिछले कुछ समय से ईरान और तालिबान के बीच सीमा विवाद चल रहा है। तालिबानी राज में जुल्म झेल रहे अफगानियों ने बड़े पैमाने पर ईरान का रुख किया था। ईरान ने अफगानों के अवैध आप्रवासन को रोकने के लिए सीमा पर 10 किलोमीटर लंबी दीवार भी बनाई थी।
अफगान सरकार के उप प्रवक्ता हमदुल्ला फितरत के एक बयान के अनुसार, विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा कि ईरान लगभग 35 लाख अफगान शरणार्थियों की वापसी के लिए प्रतिबद्ध है और उसका अपने पड़ोसी की घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है। बयान में कहा गया कि उन्होंने हेलमंद नदी जल संधि के पूर्ण कार्यान्वयन का भी आह्वान किया, जिसमें जल संसाधनों को साझा करने की परिकल्पना की गई है।
अफगानियों से अच्छा सलूक करे ईरान
तालिबान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री हसन अखुंद ने ईरान से अफ़गान शरणार्थियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने को कहा और कहा कि कम समय में बड़े पैमाने पर लोगों को वापस भेजना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान में अफ़गानों को मौत के घाट उतारने जैसी घटनाओं ने लोगों की भावनाओं को भड़काया है।
ईरान ने तालिबान को अभी मान्यता नहीं दी
इससे पहले रविवार को ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी इरना ने अरागची के हवाले से कहा कि उन्हें अफगानिस्तान के साथ और अधिक आर्थिक संबंधों और बेहतर संबंधों की उम्मीद है, हालांकि उन्होंने कुछ "उतार-चढ़ाव" का भी हवाला दिया। ईरान ने अफ़गानिस्तान में तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है। तालिबान ने 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। हालांकि तेहरान ने काबुल के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंध बनाए रखे हैं और उसने तालिबान को ईरान की राजधानी में अफगानिस्तान के दूतावास का प्रबंधन करने की अनुमति दी है।
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