सीरिया के गोलन हाइट्स से इजरायली कब्जा हटाने की मांग, भारत ने UN में प्रस्ताव का किया समर्थन
पश्चिम एशिया में स्थिति विषय पर आधारित एजेंडा के तहत सीरियाई गोलन नामक प्रस्ताव पर 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान हुआ। मिस्र ने प्रस्ताव पेश किया जिसके पक्ष में 91 वोट पड़े।
भारत ने सीरियाई गोलन से इजरायल के वापस नहीं हटने को लेकर गहरी चिंता जताने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। सीरियाई गोलन दक्षिण पश्चिम सीरिया में एक क्षेत्र है जिस पर 5 जून, 1967 को इजरायली सुरक्षा बलों ने कब्जा कर लिया था। पश्चिम एशिया में स्थिति विषय पर आधारित एजेंडा के तहत सीरियाई गोलन नामक प्रस्ताव पर 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान हुआ। मिस्र ने प्रस्ताव पेश किया जिसके पक्ष में 91 वोट पड़े और 8 ने इसके विरुद्ध मतदान किया जबकि 62 सदस्य गैर हाजिर रहे।
भारत के अलावा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वालों में बांग्लादेश, भूटान, चीन, मलेशिया, मालदीव, नेपाल, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात शामिल थे। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इजरायल, ब्रिटेन और अमेरिका ने मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। प्रस्ताव में इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है कि प्रासंगिक सुरक्षा परिषद और महासभा के प्रस्तावों के विपरीत इजरायल सीरियाई गोलन से पीछे नहीं हटा है, जो 1967 से उसके कब्जे में है।
'सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का पालन करने में विफल इजरायल'
प्रस्ताव में घोषित किया गया कि इजरायल सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 497 (1981) का पालन करने में विफल रहा है। साथ ही इसमें कहा गया कि कब्जे वाले सीरियाई गोलन हाइट्स में अपने कानून, अधिकार क्षेत्र और प्रशासन को लागू करने का इजरायल का निर्णय अमान्य व अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रभाव के बिना है। मंगलवार के प्रस्ताव में 14 दिसंबर, 1981 के इजरायली फैसले को भी अमान्य घोषित कर दिया गया। इसमें कहा गया कि इसकी कोई वैधता नहीं है। इसने इजरायल से अपना निर्णय रद्द करने का आह्वान किया। प्रस्ताव में 1967 से कब्जे वाले सीरियाई गोलन में इजरायली बस्ती निर्माण और अन्य गतिविधियों की अवैधता पर भी जोर दिया गया।
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