तेल बेचने में सऊदी अरब से भी आगे निकला भारत, एक साल में कैसे बदल गई तस्वीर, समझें
आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रूस का तेल निर्यात रुक गया था क्योंकि अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने पर भी पाबंदी लगा दी थी। भारत ने उन प्रतिबंधों पर ध्यान नहीं दिया और रूस से क्रूड ऑयल खरीदना चालू कर दिया।
यूक्रेन-रूस जंग के बीच भारत ने अपनी व्यापारिक और कूटनीतिक चतुराई का परिचय देते हुए नई उपलब्धि हासिल की है। अब भारत यूरोपीय देशों को सऊदी अरब से भी ज्यादा तेल बेच रहा है और उससे अधिक मुनाफा कमा रहा है। ‘द सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ के मुताबिक, यूक्रेन-रूस युद्ध से पहले यूरोप भारत से प्रतिदिन 1.54 लाख बैरल रिफाइन ऑयल खरीदता था लेकिन अब ये आंकड़ा बढ़कर रोजाना 2 लाख बैरल हो गया और मई 2023 में उसमें और छलांग लगाते हुए ये आंकड़ा अब 3.60 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है।
5.5 करोड़ लीटर रिफाइन तेल का निर्यात:
यानी भारत अब यूरोप को करीब 5.5 करोड़ लीटर रिफाइन तेल का निर्यात कर रहा है। दरअसल, जब फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला तो अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। यूक्रेन युद्ध की वजह से मार्च 2022 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़कर 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी। तब अमेरिका ने अपना क्रूड ऑयल रिजर्व इंटरनेशनल मार्केट के लिए खोल दिया था।
प्रतिबंधों से भारत बेअसर रहा:
उधर, आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रूस का तेल निर्यात रुक गया था क्योंकि अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने पर भी पाबंदी लगा दी थी। हालांकि, भारत ने उन प्रतिबंधों पर ध्यान नहीं दिया और रूस से क्रूड ऑयल खरीदना शुरू कर दिया। इससे पहले तक भारत अपनी जरूरतों का 60 फीसदी कच्चा तेल खाड़ी देशों से और सिर्फ दो फीसदी रूस से खरीदता था।
छह महीने में 89 हजार करोड़ रुपये का तेल आयात:
भारत ने इस अवसर को भुनाते हुए रूस से कच्चा तेल खरीदना शुरू किया और उसकी रिफायनिंग कर उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचना शुरू कर दिया। आंकड़ों के मुताबिक साल 2021-22 के दौरान भारत ने रूस से 18 हजार करोड़ रूपये का कच्चा तेल खरीदा था। बाद में यह आंकड़ा और बढ़ गया। 2022-23 के पहले छह महीनों में भारत का रूस से तेल आयात बढ़कर 89 हजार करोड़ रुपये का हो गया।
G-7 के दबाव में नहीं आया भारत:
जब भारत ने रूस से तेल खरीदना शुरू किया तो अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भारत पर दबाव बना शुरू कर दिया और G-7 ने रूस से कच्चा तेल खरीदने पर प्राइस कैप लगा दिया। इसके बावजूद भारत रूस से तेल खरीदना नहीं छोड़ा। भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदकर अपने यहां IOCL, BPCL और अन्य रिफायनरीज में उसका शोधन करवाया और उसे यूरोपीय बाजार में बेचना शुरू कर दिया।
चूंकि पश्चिमी देशों के प्रतिबंध से यूरोपीय देशों में तेल की किल्लत होने लगी, इसलिए यूरोपीय देशों ने भारत से तेल खरीदना शुरू कर दिया। पाबंदी लगाए जाने के बाद रूस से कच्चा तेल खरीदने वालों में चीन के बाद भारत का दूसरा नंबर आता है। इसके अलावा सिंगापुर, UAE और तुर्की का नंबर रूस से ऑयल आयात में आता है। रूस से इन देशों के तेल आयात में 140% की वृद्धि हुई है।
386 फीसदी ज्यादा तेल आयात:
‘द सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ के मुताबिक इस दौरान चीन ने कच्चे तेल, पाइपलाइन गैस, कोयला, एलएनजी और तेल उत्पादों और रसायनों का भी आयात रूस से किया, जबकि भारत ने सिर्फ कच्चे तेल, कोयले और रसायनों का आयात किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस से भारत में आयातित कच्चा तेल पिछले साल के मुकाबले 386 फीसदी ज्यादा हुआ है।
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